भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय अमेरिकी यात्रा पर हैं।पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा- वाशिंगटन डीसी में यूएसए की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड से मुलाकात की।उनकी नियुक्ति पर उन्हें बधाई दी।भारत-यूएसए की दोस्ती के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की, जिसकी वे हमेशा से प्रबल समर्थक रही हैं।
पीएम मोदी 13 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे।व्हाइट हाउस में मोदी की यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है,जब नई दिल्ली वाशिंगटन के साथ संबंधों को मजबूत करना चाहता है और टैरिफ से बचना चाहता है। मोदी ने हाल ही में फ्रांस की अपनी तीन दिवसीय यात्रा पूरी की।उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ एआई एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता की।
पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच होने वाली बैठक में व्यापार संतुलन, रक्षा सहयोग, आतंकवाद, भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता, चीन की बढ़ती आक्रामकता, रूस-यूक्रेन युद्ध, एच1 बी (H1B)वीजा और अंतरराष्ट्रीय अपराध जैसे कई अहम मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।
राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने कई देशों पर सख्त रवैया अपनाया है। वे गाजा संकट पर हमास को अल्टीमेटम दे चुके हैं, वहीं गाजा वासियों को मिस्र और जॉर्डन में बसने का सुझाव देकर वे इन देशों को भी चुनौती दे चुके हैं। उनकी नीतियों से कई देश असहज महसूस कर रहे हैं।हाल ही में जॉर्डन के किंग को भी ट्रंप की सख्त नीतियों का सामना करना पड़ा। ऐसे में अब दुनिया की नजरें पीएम मोदी पर टिकी हैं, जो फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की तरह ट्रंप के करीबी दोस्त माने जाते हैं।अमेरिका रवाना होने से पहले पीएम मोदी और मैक्रों की मुलाकात हुई थी, जिसमें दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से एक-दूसरे को विदाई दी।
प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के बीच की दोस्ती जगजाहिर है।चुनाव प्रचार के दौरान भी ट्रंप ने मोदी की जमकर तारीफ की थी, लेकिन उसी दौरान उन्होंने भारत को “टैरिफ किंग” भी कहा था। हाल ही में अमेरिका ने हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां डालकर 104 भारतीयों को निर्वासित कर अमृतसर भेजा था। यह दर्शाता है कि ट्रंप प्रशासन का रुख। भारत को लेकर भी कुछ मामलों में सख्त हो सकता है।
ट्रंप पहले ही कई देशों पर भारी कर लगा चुके हैं, ऐसे में सवाल उठता है कि वे भारत के साथ कैसा व्यवहार करेंगे? ट्रंप की बयानबाजी और नीतियां कभी-कभी अस्थिर होती हैं, जिससे उनके फैसलों का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल हो जाता है।पीएम मोदी ट्रंप के व्यवहार की इस सच्चाई को भलीभांति समझते हैं, इसलिए उन्होंने अमेरिका जाने से पहले अमेरिकी बाइक कंपनी हार्ले डेविडसन पर लगने वाले टैक्स को कम करने का ऐलान किया है।मोदी अपने इस कदम से ट्रंप को यह समझाने की कोशिश करेंगे कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर न्यूनतम टैक्स लगाता है, जबकि चीन इस मामले में काफी सख्त है।
भारत ने हाल के वर्षों में अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनियों को अपने बाजार में बड़ा स्थान दिया है।अमेज़न, माइक्रोसॉफ्ट, ओपन एआई जैसी कंपनियां भारत में अपने व्यापार का विस्तार कर रही हैं।वहीं, चीन ने अमेरिकी कंपनियों को अपनी अर्थव्यवस्था में इतना स्वतंत्र रूप से प्रवेश नहीं करने दिया है।साथ ही, भारत ने अपनी परमाणु ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने के लिए अमेरिकी कंपनियों को कई अवसर प्रदान किए हैं। भारत और अमेरिका की रक्षा साझेदारी भी मजबूत हो रही है।भारत ने रूस पर अपनी सैन्य निर्भरता को धीरे-धीरे कम किया है और अमेरिका के साथ सैन्य सहयोग को बढ़ावा दिया है।ट्रंप के साथ बैठक में पीएम मोदी इन मुद्दों म पर चर्चा कर भारत के लिए अमेरिका से व्यापार ,सेवा और रक्षा क्षेत्र में कई सौगात ला सकते हैं।