Homeदेशआखिर एस जयशंकर ने चीन-पाक को उनके मुंह पर ही क्यों लताड़ा?

आखिर एस जयशंकर ने चीन-पाक को उनके मुंह पर ही क्यों लताड़ा?

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न्यूज़ डेस्क 
पाकिस्तान जाकर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन और पाकिस्तान के मुँह पर ही खूब लताड़ लगाईं। सब देखते रह गए। दुनिया भर के देशों के सामने विदेश मंत्री ने बता दिया कि उनकी औकात क्या है और वे छुपकर क्या कुछ करते रहते हैं।    

एससीओ की बैठक में एस जयशंकर ने पाकिस्तान और चीन को उसके मुंह पर आतंकवाद पर और संप्रुभता के मुद्दे पर जमकर लताड़ लगा दी। एस जयशंकर ने इन दोनों देशों को वहीं मौजूद 8-8 देशों के सामने ऐसा सबक सिखाया कि पूरी दुनिया एस जयशंकर का मुंह देखती रह गई।

जयशंकर ने एससीओ बैठक में कहा कि एससीओ के चार्टर में आपसी सहयोग की बात कही गई है लेकिन ये सहयोग तब हो सकता है जब ये सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित हो। इसे क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता देनी चाहिए। इसे वास्तविक भागीदारी पर बनाया जाना चाहिए। ना कि एकतरफा एजेंडे पर।

एस जयशंकर ने कहा कि ये जरूरी है कि हम ईमानदारी से बातचीत करें। अगर विश्वास की कमी है या सहयोग अपर्याप्त है, अगर मित्रता कम हो गई है और अच्छे पड़ोसी की भावना कहीं गायब है, तो निश्चित रूप से आत्मनिरीक्षण करने और संबोधित करने के कारण हैं। इसलिए ये केवल तभी संभव है जब हम चार्टर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पूरी ईमानदारी से पुष्टि करें। तभी हम एक हो सकते हैं।

इसके बाद एस जयशंकर ने बैठक में सबके सामने आतंकवाद का भी मुद्दा उठाया जो भारत और पाकिस्तान के खराब हुए रिश्तों की जड़ है। एस जयशंकर ने पाकिस्तान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर सीमा पार की गतिविधियाँ आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देती हैं और उसी में लिप्त रहती हैं तो वे इसके साथ व्यापार, ऊर्जा प्रवाह, संपर्क और लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं रखते हैं।

एस जयशंकर ने चीन की बेल्ट एंड रोड का नाम लिए बिना कहा कि क्षेत्र में “एकतरफा” संपर्क कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए।

चीन और पाकिस्तान को आड़े हाथ लेते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि ऐसा करने के लिए, सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए। इसे क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता देनी चाहिए। इसे एकतरफा एजेंडे पर नहीं, बल्कि वास्तविक भागीदारी पर बनाया जाना चाहिए। अगर हम वैश्विक प्रथाओं, खासकर व्यापार और पारगमन को चुनते हैं तो यह प्रगति नहीं कर सकता है।

बता दें कि इस बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ और चीन के प्रधानमंत्री मौजूद थे, इनके सामने ही एस जयशंकर ने भारत का बेहद मजबूती से स्टैंड लिया और संप्रभुता, एकता, अखंडता का उल्लंघन करने वाले इन दोनों देशों को इसका पाठ पढ़ाया। बैठक में इनके अलावा रूस के प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्तिन, ईरान के पहले उप-राष्ट्रपति मोहम्मद रेज़ा अरेफ़, बेलारूस के प्रधानमंत्री रोमन गोलोवचेंको, कज़ाकिस्तान के प्रधानमंत्री ओल्झास बेक्तेनोव मौजूद रहे।

इनके साथ ही बैठक में तुर्कमेनिस्तान के मंत्रियों के कैबिनेट के उप-प्रधानमंत्री राशिद मरेदोव, एससीओ सचिवालय के महासचिव झांग मिंग, एससीओ रैट्स कार्यकारी समिति के निदेशक रस्लान मिर्ज़ायेव, और एससीओ व्यापार परिषद के अध्यक्ष आतिफ इकराम शेख, किर्गिस्तान के मंत्रियों के कैबिनेट के अध्यक्ष झापारोव अकीलबेक, ताजिकिस्तान के प्रधानमंत्री कोखिर रसुलजोडा, उज्बेकिस्तान के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला आरिपोव, मंगोलिया के प्रधानमंत्री ओयूएन-एर्डेने लुव्सन्नम्सराई, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ शामिल रहे।

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