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दलबदल मामले में बाबूलाल मरांडी को झटका, हाईकोर्ट ने किया मामले को खारिज

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बीरेंद्र कुमार
दलबदल मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को एक झटका लगा। हाईकोर्ट में यह कहते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया की फिलहाल यह मामला स्पीकर कोर्ट में है, जब तक वहां कोई फैसला नहीं हो जाता है तब तक यहां इस पर कोई सुनवाई नहीं हो सकती।

हाई कोर्ट ने फैसले में क्या कहा?

आज के फैसले से पूर्व झारखंड हाईकोर्ट में राजेश शंकर के अदालत में सभी पक्षों के बयान सुनने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था। आज इस मामले पर फैसला देते हुए उच्च न्यायालय ने बाबूलाल मरांडी से कहा कि उनकी याचिका सुनवाई करने योग्य नहीं है,क्योंकि अभी इस मामले में विधानसभा के न्यायाधिकरण से फैसला नहीं आया है।

क्या कहा था बाबूलाल मरांडी ने याचिका में

हाईकोर्ट में दायर किए अपनी रिट याचिका में बाबूलाल मरांडी ने कहा था कि झारखंड के विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण में उनके मामले की सुनवाई ढंग से नहीं की गई। अपने पक्ष में तर्क देते हुए बाबूलाल मरांडी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण में बिना उनका पक्ष सुने ही मामले पर सुनवाई पूरी कर उसे फैसले को सुरक्षित रख लिया है।

17 फरवरी 2020 को बीजेपी में पुनर्वापसी किया था बाबूलाल मरांडी ने

बाबूलाल मरांडी में 2019 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में गिरिडीह के राजधनवार सीट से जेभीएम पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी। चुनाव में जीत हासिल करने के बाद 17 फरवरी 2020 को बाबूलाल मरांडी ने अमित शाह के उपस्थिति में बीजेपी में पुनर्वापसी की थी। गौरतलब है कि बिहार सिमटकर झारखंड के अलग राज्य के रूप में अस्तित्व आने के बाद भारतीय जनता पार्टी की तरफ से बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने थे। 2006 में उन्होंने बीजेपी को छोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया था।

जेभीएम के तीन उम्मीदवारों ने 2019 में हासिल की थी जीत

2019 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में जेवीएम से बाबूलाल मरांडी प्रदीप यादव और बंधु तिर्की इन तीन लोगों ने जीत दर्ज की थी। बाद में बंधु तिर्की और प्रदीप यादव ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया, जबकि बाबूलाल मरांडी ने बीजेपी का। तब से ही इन तीनों पर दलबदल काम मामला झारखंड विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण में चल रहा है। हालांकि इस बीच बंधु तिर्की की विधानसभा की सदस्यता आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी पाने के कारण समाप्त हो चुकी है।

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