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जैवलिन थ्रो में दूसरे स्थान पर रहे नीरज, पाकिस्तान के नदीम ले गए सोना

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पेरिस ओलंपिक 2024 के 13वें दिन भारत के लिहाज से अच्छा रहा।भारत ने 13वें दिन दो पदक अपने नाम किए। भारत को नीरज ने इस ओलंपिक का पहला सिल्वर मेडल दिलाया। वहीं भारतीय हॉकी टीम ने भी कमाल करते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया। गौरतलब है कि नीरज चोपड़ा पेरिस ओलंपिक की जैवलिन थ्रो में सिल्वर मेडल जीतकर लगातार दो ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय ट्रैक और फील्ड खिलाड़ी बन गए।हालांकि इस मुकाबले में गोल्ड मेडल पर पाकिस्तान के अरशद नदीम ने अपना कब्जा जमा कर ओलंपिक में नया रिकॉर्ड कायम कर लिया। वहीं इस रिजल्ट के बाद नीरज चोपड़ा का बयान सामने आया है।उनका मानना है कि स्पोर्ट्स है अप-डाउन लगा रहता है।उन्होंने कहा कि वह 90 पार का थ्रो निकालना चाहते थे पर वो नहीं निकला।

एक निजी चैनल से बात करते हुए नीरज चोपड़ा ने कहा, ‘कहीं ना कहीं ये लग रहा था कि आज कंसिस्टेंसी है।लग रहा था कि आज वह दिन है,जब 90 मीटर का थ्रो निकले , आज इसे निकलनी भी थी, लेकिन वह नहीं निकली।वहीं जब अरशद ने थ्रो किया तो यकीन था कि वे भी ऐसा करेंगे।यह दिन उनका था और उन्होंने ऐसा किया भी। लेकिन मुझसे से ऐसा नहीं हो पाया,फिर भी अपनी कंट्री के लिए मेडल जीता है, फ्लैग लेकर ग्राउंड के चक्कर लगाए हैं। सबकी उम्मीद थी कि गोल्ड मेडल डिफेंड करना है। मैं ये बताना चाहूंगा कि स्पोर्ट्स है, अप-डाउन है।काफी टाइम से अपना दिन रहा है, हमेशा,जीते हैं, विश्वास रहा है और में उस पर खरा भी उतरा हूं। आज शायद अपना दिन नहीं था।इसे स्वीकार करके हम आगे की तैयारी करेंगे। ये टक्कर तो चलती रहेगी।

अरशद नदीम की तारीफ करते हुए नीरज ने आगे कहा कि देखो जिसने जितनी मेहनत की है, उसे वो मिलेगा ही।अरशद ने जो थ्रो की है, वो काफी अच्छी थी और सही जगह पर वो निकली है, जहां पर जरूरत थी।आज का वो दिन था जो थ्रो मैंने सोचा था कि मेरा थ्रो भी 90 पार निकले,,क्योंकि यह समय चार साल बाद आता है।आज मुझे लग रहा था कि शायद वो होगा, लेकिन आज शायद अपना दिन नहीं था।

इंजरी पर बात करते हुए भारत के स्टार भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने कहा कि ‘ग्रोइंग इंजरी का तो यही है कि जब मैं थ्रो करता हूं तो मेरा 50 से 60 परसेंट दिमाग ही वहां रहता है।मेरा एफर्ट पर कम,इस बात पर ज्यादा ध्यान रहता है कि इंजरी ना हो जाए।आज भी दिमाग में वही चल रहा था कि थ्रो तो निकालना है लेकिन ऐसा ना हो कि बड़ी इंजरी हो जाए और फिर यहीं सब कुछ यहीं पर रुक जाए। वो चीज जब मन से निकल जाएगी तो तब असली थ्रो होगी। वो चीज निकालनी है, फिट होना है.बिना इंजरी के बारे में सोचे ही थ्रो करनी है।

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