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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आम बजट से रेल बजट को अलग करने की उठाई मांग

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न्यूज डेस्क
पूर्व रेल मंत्री बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समाधान यात्रा के दौरान कहा कि देश के आम बजट से रेलवे बजट को अलग कर संसद में पेश किया जाए। केंद्र सरकार से मांग करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि जिस तरह से पहले रेलवे का बजट अलग से पेश होता था, उसी तरह से रेल बजट फिर से अलग से ही पेश हो। संसद का बजट सत्र आगामी 31 जनवरी से शुरू होने वाला है, जो 6 अप्रैल तक चलेगा। इस दौरान कुल 27 बैठकें होंगी। 31 जनवरी को दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू संबोधित करेंगी जबकि 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का आम बजट पेश करेंगी।

नीतीश कुमार को याद आए पुराने दिन

समाधान यात्रा के दौरान नालंदा में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पुराने दिनों की याद को ताजा किया जब वे रेल मंत्री हुआ करते थे नीतीश कुमार ने कहा कि हर किसी के जीवन में रेलवे का काफी महत्व है अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में जब मुझे रेल मंत्री का दायित्व मिला तो रेलवे का जितना हो सके उतना विकास किया रेलवे का विकास हो खूब अच्छा हो जाए तो लोगों को और सहूलियत हो जाएगी रेलवे में पहले ही की तरह नियुक्तियां होनी चाहिए हम तो चाहेंगे पहले जिस तरह से रेल का बजट पेश होता था वैसे ही अब फिर से रेल बजट पेश हो।

अलग से पेश हो रेल बजट

नीतीश कुमार ने कहा कि जब रेल बजट पहले पेश होता था, तो पूरे देश में इसकी खूब चर्चा होती थी। पता नहीं क्या हुआ कि केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार रेलवे के बजट को अब रहने ही नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब वह रेल मंत्री हुआ करते थे, तब कितने ही लोगों को नौकरी दी गई थी। रेल का जो बजट होता था, जब उसकी चर्चा होती थी, तो रात भर हाउस चलता रहता था। जब रेल बजट पेश होता था तो, उसकी चर्चा पूरे देश में होती थी यह बड़ी चीज थी। हम तो केंद्र सरकार से कहेंगे कि रेलवे का बजट अलग से करवाइए।

कब शुरू हुआ था अलग से बनाना रेल बजट और कब अंतिम बार कब पेश हुआ था रेल बजट

हमारे देश में अलग रेल बजट बनाने का प्रारंभ 1924 में शुरू हुआ था। तब रेलवे को एक अलग इकाई के तौर पर आंकने की वजह यह थी कि सरकार के राजस्व का बड़ा हिस्सा और सकल घरेलू उत्पाद रेलवे द्वारा की गयी कमाई पर निर्भर रहता था। उस समय रेलवे से प्राप्त आय अनुपातिक रूप से बहुत अधिक थी। इसके बाद साल दरसाल रेल बजट अलग से पेश होने लगा। नरेंद्र मोदी की सरकार ने भी अपने प्रारंभिक वर्षों में रेल बजट अलग से ही पेश किया था लेकिन इस परम्परा को तोड़ते हुए मोदी सरकार ने वर्ष 2017 में रेल बजट का विलय आम बजट में कर दिया। इस तरह से हमारे देश में अलग से रेल बजट पेश करने की परंपरा अंतिम बार 25 फरवरी, 2016 को संसद में पेश हुए रेल बजट के बाद समाप्त ही गई। अब रेल बजट आम बजट के एक हिस्से के रूप में संसद में पेश की जाती है।
बीरेंद्र कुमार झा

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