अखिलेश अखिल
चारो तरफ चुनावी शंखनाद और हार जीत की दुदुम्भी ! देश समस्यायों से बेजार है लेकिन राजनीति अपने रौ में है और नेताओं के बोल जनमानस में थिरकन पैदा कर रहे हैं। कोई किसी से कम नहीं। बीजेपी को दसो विधान सभा चुनाव में बाजी मारनी है तो विपक्ष की अपनी तैयारी है। कांग्रेस उठने के प्रयास में है। सबकुछ गवां चुकी कांग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा से आस है और विश्वास यह है कि उसके दिन बहुरेंगे और आगामी चुनाव में जनता उसका साथ देगी। लेकिन क्या यह सब इतना संभव है ? क्या बीजेपी के रथ को कांग्रेस रोक सकती है ? अभी तो नहीं लगता। लेकिन असंभव भी तो नहीं है। जनता के मन में कुछ बातें बैठ गई तो पास पलट भी सकता है। इस पासा पलटने की सम्भावना को बीजेपी भी महक रही है लेकिन उसकी तेज गति बहुत कुछ कहती भी है।
इधर भारत जोड़ो यात्रा अंतिम दौर में है। यात्रा जम्मू कश्मीर इलाके में पहुँच गई है और इस सूबे के हजारो लोग यात्रा का स्वागत करने से बाज नहीं आ रहे। क्या हिन्दू ,क्या मुसलमान ,क्या बूढ़े क्या जवान और महिलाये भी बड़ी संख्या में यात्रा के साथ देश बदलने को तैयार हैं। भारत जोड़ो यात्रा कामयाब है। लेकिन लोकतंत्र में इस कामयाबी की परीक्षा चुनावी मैदान में ही होनी है। मैदान में कांग्रेस बाजी पलटती है तो इस यात्रा की कहानी इतिहास में दर्ज होगी। कांग्रेस के दिन बहुरेंगे और राजनीति एक अलग बहस की तरफ जाएगी। लेकिन क्या यह सब इतना आसान है ? कदापि नहीं।
भारत जोड़ो यात्रा 30 जनवरी को श्रीनगर में ख़त्म होगी। तिरंगा फहरेगा। यात्रा की समाप्ति का उद्घोष होगा और फिर कांग्रेस चुनावी रणनीति में जुटेगी। इस बीच देश के और इलाको में भी कांग्रेस की यात्राएं जारी रहेगी। लेकिन सवाल है कि जिस शेरे कश्मीर स्टेडियम में यात्रा की पूर्णाहुति होगी वहाँ कौन से नेता आएंगे ?तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की खम्मम रैली के बाद कांग्रेस पर दबाव बढ़ा है। राव की रैली में चार मुख्यमंत्री शामिल थे। कांग्रेस के प्रबंधकों के सामने चुनौती है कि वे 30 जनवरी को श्रीनगर में होने वाली कांग्रेस की रैली में उससे ज्यादा मुख्यमंत्री जुटाएं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का समापन 30 जनवरी को होगा, जिस मौके पर शेरे कश्मीर इंटरनेशनल स्टेडियम में एक बड़ा कार्यक्रम होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसके लिए देश की 23 विपक्षी पार्टियों को चिट्ठी लिखी है और कांग्रेस के कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया है। बताया जा रहा है कि पार्टी के कुछ नेता विपक्ष के साथ बातचीत में लगाए गए हैं ताकि राहुल के कार्यक्रम को सफल बनाया जा सके।
क्या इस यात्रा की समाप्ति पर 23 दलों के नेता जुटेंगे ? अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। क्या नीतीश कुमार आएंगे ? क्या तेजस्वी यादव पहुंचेंगे या फिर हेमंत सोरेन की धमक होगी ? स्टालिन आएंगे या नहीं ? अखिलेश यादव पहुंचेंगे या नहीं ? मायावती पधारेगी या नहीं ? इस पर सवाल तो खड़े है ही। अगर ऐसा हुआ तो इसका बड़ा मैसर्ज जायेगा। विपक्षी एकता सफल करने की राह में यह जरुरी है। शरद पवार ,उद्धव ठाकरे के ऊपर भी नजर है। कह सकते हैं कि यात्रा के इस अंतिम पड़ाव पर अगर कांग्रेस सफल होती है तो देश की राजनीति में बहुत कुछ होता संभव दिखेगा। उधर बीजेपी नहीं चाहती कि कांग्रेस की यह अंतिम ख्वाइस पूरी हो। अब देखना है कि कांग्रेस इसमें कितन सफल होती है।