न्यूज़ डेस्क
देश में बेरोजगारी को लेकर विपक्षी पार्टियां सरकार पर हमले तो कर रही है लेकिन सरकार का कहना है कि देश की आधी युवा आबादी के पास रोजगार पाने के लिए योग्यता ही नहीं है। इस बात की जानकारी आज संसद में पेश आर्थिक सर्वे से मिल रही है।
आर्थिक सर्वे के अनुसार भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्या का 65 प्रतिशत 35 वर्ष से कम उम्र का है, लेकिन उमें से कई लोगों के पास आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक कौशल का अभाव है।
अनुमान बताते हैं कि लगभग 51.25 प्रतिशत युवा रोजगार के योग्य माने जाते हैं। दूसरे शब्दों में इसका मतलब है कि सीधे कॉलेज से बाहर आने वाले लगभग दो में से एक युवा अब भी आसानी से रोजगार के योग्य नहीं है। हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पिछले दशक में स्किल्ड युवाओं का प्रतिशत लगभग 34 प्रतिशत से बढ़कर 51.3 प्रतिशत हो गया है।
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय यानी एमएसडीई ने बताया कि “भारत में शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण की स्थिति पर एनएसएसओ, 2011-12 (68वें दौर) की रिपोर्ट के अनुसार, 15-59 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में लगभग 2.2 प्रतिशत ने औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त किया है। वहीं, 8.6 प्रतिशत ने गैर-औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
आर्थिक सर्वे के अनुसार देश में बढ़ते मानव संसाधन को काम मुहैया कराने के लिए गैर कृषि क्षेत्र में 2030 तक सालाना 78.5 लाख रोजगार सृजन करने की जरूरत है। सर्वे में कहा गया है कि कामकाज की उम्र का हर व्यक्ति नौकरी ही नहीं करेगा। उनमें से कुछ स्वरोजगार भी करेंगे और कुछ लोग नियोक्ता भी बनेंगे।
सर्वे में कहा गया है कि देश का आर्थिक विकास नौकरियों से ज्यादा लोगों को आजीविका मुहैया कराने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। सभी स्तर के सरकारों और निजी क्षेत्र को भी इस में योगदान देना होगा।
आर्थिक सर्वे के अनुसार कृषि क्षेत्र का श्रम बल जो 2023 में 45.8% है वह 2047 तक धीरे-धीरे घटकर 25% पर पहुंच सकता है। इसलिए 2030 तक हमें गैर कृषि क्षेत्र में सालाना करीब 78.5 लाख रोजगार मुहैया कराने होंगे।
सर्वे के अनुसार 78.5 रोजगार सृजन का लक्ष्य पीएलआई (5 साल में 60 लाख रोजगार), मित्र टेक्सटाइल स्कीम (20 लाख रोजगार) और मुद्रा योजनाओं के क्रियान्वयन से हासिल किए जा सकते हैं।