बीरेंद्र कुमार
अपने हालिया बयान में बिहार के उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता बिहार में आरजेडी-जेडीयू गठबंधन के बीच सब कुछ ठीक-ठाक होने की बात भले ही किया ही लेकिन जेडीयू और आरजेडी के नेताओं के द्वारा एक दूसरे पर आरोप और प्रत्यारोप का जारी दौर यह बताने जे किए काफी है कि महागठबंधन वाली सरकार में सबकुछ ठीक-ठाक नही है।
ताजा मामले में पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने एक बार फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला किया है। सुधाकर सिंह ने कहा है कि इस देश ने’ इंदिरा इज इंडिया’ वाली सरकार भी देखी है और आज’ बिहार में बहार है, नीतीश कुमार वाली सरकार है’ भी देख रही है। राज्य से लेकर केंद्र तक में आज संस्था पर व्यक्ति कब्जा कर चुका है। अब भारत सरकार नहीं मोदी सरकार दिल्ली में है। ऐसे में अब बिहार में इसी तर्ज पर सरकार से नहीं नीतीश कुमार से ही सवाल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बिहार में न्याय का शासन नहीं चल रहा है,बल्कि बिहार में लूट का ऐसा मॉडल विकसित किया गया है जिसे जांचना पुलिस के बस की बात नहीं है। बिहार में लूट की जांच में पुलिस भी फेल है, क्योंकि लूट का मॉडल सत्ता संरक्षित है।
बिहार के किसानों के पास एक ही विकल्प बचा
मंगलवार को किसान आक्रोश सभा में शामिल होने खगड़िया पहुंचे पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि केंद्र की सरकार हो या राज्य की सरकार, कहीं भी आज किसानों की आवाज नहीं सुनी जा रही हैं। केंद्र सरकार ने कहा था कि किसानों की आय दोगुनी कर देंगे। लेकिन उसमें महज 8% की ही बढ़ोतरी हुई है। यह बढ़ोतरी भी तब दिखाई जा रही है जब न्यूनतम समर्थन मूल्य को मानक माना गया है। आज उस दाम पर कौन किसान अपनी फसल बेच रहा है!किसानों की सुनने वाला आज कोई नहीं है। बिहार की किसानों के पास बस एक ही रास्ता बचा है। जैसे पंजाब और हरियाणा के किसानों ने 13 माह तक सड़क पर बैठकर केंद्र सरकार को झुकाया वैसे ही बिहार में अगर 13 दिन भी बैठने की हैसियत हम लोग पा लेंगे तो बिहार सरकार सुई की तरह सीधी हो जाएगी।
धर्म नितांत निजी मामला, सार्वजनिक बहस उचित नहीं
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान पर जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया तो उन्होंने कहा कि वे प्रोफेसर हैं, पढ़े लिखे हैं, हम उनके ज्ञान पर सवाल नहीं उठा सकते। हमारे नेता तेजस्वी यादव और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने इस मसले पर बयान दे दिया है।
जब सुधाकर सिंह से उनका निजी राय पूछा गया तो उन्होंने कहा कि धर्म नितांत निजी मामला है। इस पर सार्वजनिक राय उचित नहीं है। देश में जिसे जिस धर्म में विश्वास है,वह उसे मानने को स्वतंत्र है। इस देश में आस्तिक और नास्तिक दोनों को रहने का संविधान में अधिकार दे रखा है और संविधान से बड़ा कोई ग्रंथ नहीं है। जेडीयू के नेताओं के बयान पर सुधाकर सिंह ने कहा कि जेडीयू नेता अभी भी बीजेपी के लाइन पर काम कर रहे हैं, तभी तो जेडीयू के मंत्री से लेकर बड़े नेता तक रामचरितमानस में बीजेपी की भाषा बोल रहे हैं।