न्यूज डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने आज जोशीमठ भू-धंसाव मामले पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका सुनने से इन्कार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़,जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का मामले में याचिकाकर्ता चाहें तो उत्तराखंड हाईकोर्ट जा सकते हैं।
स्वामी अविमुक्तेश्वारानंद ने की थी राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग
स्वामी अविमुक्तेश्वारानंद सरस्वती ने याचिका में मांग की थी कि केंद्र सरकार से कहा जाए कि वह जोशीमठ संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करे और मरम्मत के काम में मदद करे। साथ ही जोशीमठ के रहने वालों को तुरंत राहत दी जाए।
सुनवाई के दौरान उत्तराखंड सरकार ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट इस मामले को सुन रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट पहले से इस मामले पर सुनवाई कर रहा है। याचिकाकर्ता को वहीं अपनी बात रखनी चाहिए।
होटल स्नो क्रिस्ट और कॉमेट लॉज भी झुके एक-दूसरे की ओर
जोशीमठ में भू-धंसाव से सर्वाधिक प्रभावित होटल माउंट व्यू और मलारी इन को ढहाने की कार्रवाई सोमवार को भी जारी रही। इस बीच होटल स्नो क्रिस्ट और कॉमेट लॉज ने राज्य सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। महज 24 घंटे के भीतर ये दोनों होटल एक-दूसरे की ओर झुक गए हैं। दोनों में दरारों की संख्या भी बढ़ रही है।
प्रशासन की टीम ने सीबीआरआई के वैज्ञानिकों के साथ रविवार को इन दोनों होटलों का निरीक्षण किया, हालांकि होटलों को ढहाया जाएगा या नहीं, इसे लेकर क्या निर्णय हुआ है, ये पता नहीं चल सका है। होटल स्नो क्रिस्ट और कामेट लॉज बदरीनाथ हाईवे पर स्थित हैं। खतरा बढ़ने पर इन्हें पूरी तरह खाली कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि होटलों के झुकने का सिलसिला नौ जनवरी को शुरू हुआ था। जब ये होटल बनकर खड़े हुए, तब इनकी छत में करीब दो फीट का फासला था। अब भू-धंसाव के कारण इनकी छत एक-दूसरे को छूने लगी है।
233 परिवारों को किया गया अब तक विस्थापित
बता दें कि जोशीमठ नगर क्षेत्र के नौ वार्डों में 826 भवन भूधंसाव से प्रभावित हुए है। इसमें से 165 भवन ऐसे हैं, जिनको असुरक्षित जोन के अंतर्गत रखा गया है। सुरक्षा की दृष्टि से अब तक 233 परिवारों के 798 व्यक्तियों को सुरक्षित स्थानों पर अस्थायी रूप से विस्थापित किया गया है। नगर पालिका क्षेत्र जोशीमठ के बाहर पीपलकोटी में अस्थायी राहत शिविरों के रूप में 20 भवनों के 491 कमरों को चयनित किया गया है। आपदा प्रभावित 336 प्रभावितों को जिला प्रशासन की ओर से अब तक 249.27 लाख रुपये की धनराशि बांटी जा चुकी है।