न्यूज डेस्क
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ() ने आज यानी 29 मई को लगभग 11:30 बजे ओडिशा के तट पर भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट से रुद्रएम-II एयर-टू-सरफेस मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
यह हवा से सतह पर मार करने वाली हाइपरसोनिक मिसाइल है। यह एक एंटी-रेडिएशन मिसाइल है। यानी ऐसी सैटेलाइट जिसे दुश्मन का कोई राडार सिस्टम, एयर डिफेंस सिस्टम, रेडियो फ्रिक्वेंसी यंत्र, या किसी भी तरह का संचार सिस्टम इसे पकड़ नहीं सकता। इस मिसाइल की तुलना रूस की खतरनाक मिसाइल Kh-31PD से की जा रही है। रूस ने यूक्रेन पर हमला करने के लिए इस मिसाइल का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया था।
डीआरडीओ ने किया है तैयार
रुद्रएम-II एयर-टू-सरफेस मिसाइल को डीआरडीओ ने डिजाइन किया है और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, भारत डायनेमिक्स लिमिटेड और अदाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने मिलकर बनाया है।
300 किमी है मारक क्षमता
रुद्रएम-II की रेंज 300 किलोमीटर है। यह अधिकतम 3 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकती है। सबसे खतरनाक तो इसकी गति है। यह ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा स्पीड से उड़ान भरती है। इसमें आईएनएस और सैटनैव गाइडेंस सिस्टम लगा है। साथ में पैसिव राडार होमिंग सिस्टम है। इसकी सटीकता 5 मीटर है। यानी टारगेट से पांच मीटर दूर भी गिरती है, तो भी वह पूरी तरह से ध्वस्त हो जाएगा।
ध्वनि से पांच गुना ज्यादा की रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम
रुद्रएम-II की कुल लंबाई 18 फीट है। यह करीब 155 किग्रा वजन लेकर उड़ान भर सकता है। इसकी रफ्तार बेहद की खतरनाक है। यह ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा की रफ्तार से उड़ान भर सकती है। इसकी रेंज 300 किमी है। यह 3 से 15 किमी तक की ऊंचाई तक जा सकती है। निशाना साधने की क्षमता भी गजब की है। यह 5 मीटर की सटीकता से मार कर सकती है।
भारतीय वायुसेना का प्लान है कि इसे तेजस फाइटर जेट, एएमसीए और टेडबीएफ फाइटर जेट में लगाया जाएगा। फिलहाल यह मिग-29, मिराज, जगुआर और सुखोई विमानों में तैनात होने लायक बनाई गई है। इस मिसाइल के मुख्य लक्ष्य ही दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को बर्बाद कर देना है।