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सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस तिथि के दिन स्नान-दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में वैशाख महीने में आने वाली पूर्णिमा का बहुत महत्व है। इस दिन भगवान सत्यनारायण के निमित्त व्रत रखने का विधान है। वैशाख पूर्णिमा के दिन जो व्यक्ति भगवान सत्यनारायण की पूजा करता है, उनकी कथा का पाठ करता है और भगवान को केले की फली, तुलसीदल आदि का भोग लगाता है, उसके परिवार में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य और देवी लक्ष्मी की पूजा भी करते हैं।
23 मई को रखा जाएगा व्रत
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा तिथि का शुभारंभ 22 मई शाम 06:45 पर होगा और इस तिथि का समापन 23 मई शाम 7:22 पर हो जाएगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है। ऐसे में वैशाख पूर्णिमा व्रत 23 मई 2024, गुरुवार के दिन रखा जाएगा। बता दें कि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है जो सुबह 09:15 पूर्ण रात्रि तक रहेगा।
वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है
इसके अलावा वैशाख पूर्णिमा को विशेष तौर पर बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। बौद्ध धर्म में इस दिन का बहुत महत्व है, क्योंकि इसी दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। साथ ही भगवान गौतम बुद्ध को सात वर्षों की कठिन तपस्या के बाद बिहार के बोध गया के बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति भी इसी दिन हुई थी। इसके अलावा भगवान गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण समारोह यानि उनके जीवन का अंतिम दिवस भी वैशाख महीने की पूर्णिमा के दिन ही मनाया जाता है।
गंगा स्नान और दान करने से मिलते हैं पुण्यफल
वैशाख पूर्णिमा के दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान-दान करने से पुण्यकारी लाभ मिलते हैं। वैशाख अमावस्या के दिन अपनी वस्त्र, धन, अन्न और फल का दान करने अति उत्तम माना जाता है। इसके अलावा इस दिन बर्तन, अनाज और सफेद वस्त्र का दान करना भी लाभकारी होता है।