न्यूज़ डेस्क
लोकसभा चुनाव में बिहार पर सबकी नजरे तिकी हुई है। एक तरफ जहाँ बीजेपी और जदयू अपनी सीटों को बकहाने के फेर में लगी है तो दुसरती तरफ इंडिया गठबंधन अपनी ताकत के जरिये कई सीटों पर जीत का दावा कर रही है। हालांकि अभी कुछ नहीं कहा जा सकता कि जनता किसके पक्ष में मतदान करेगी लेकिन एक बात तो साफ़ है कि चौथे चरण की यह लड़ाई बीजेपी और जदयू के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। बिहार में चौथे चरण की चुनावी लड़ाई काफी दिलचस्प हो गई है।
इस चरण में बिहार की पांच सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर दोनों गठबंधनों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इस चरण में जेडीयू और बीजेपी के सामने अपनी सीटों को बरकरार रखने की सबसे बड़ी चुनौती है। इनमें से तीन सीटों पर एक दशक से बीजेपी का कब्जा है।
चौथे चरण में बिहार के दरभंगा, बेगूसराय, मुंगेर, समस्तीपुर और उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र के मतदाता 13 मई को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। चौथे चरण में होने वाले चुनाव में बेगूसराय सीट पर पूरे देश की नजर है। इस सीट पर एनडीए से बीजेपी के गिरिराज सिंह और महागठबंधन से सीपीआई के अवधेश राय के बीच सीधा मुकाबला है। इस सीट पर पिछले 10 सालों से बीजेपी का कब्जा है।
बीजेपी ने विगत दो आम चुनावों में यहां से अपने प्रत्याशी जरूर बदले, पर अपना कब्जा बरकरार रखा। साल 2014 के आम चुनाव में बीजेपी के भोला सिंह को जीत मिली थी, जबकि 2019 के आम चुनाव में बीजेपी ने यहां से गिरिराज सिंह को मैदान में उतारा। गिरिराज सिंह भी बीजेपी का किला बचाने में सफल रहे। गिरिराज के सामने इस किले को बचाए रखना एक बार फिर से चुनौती है।
उजियारपुर सीट से भी दो चुनावों से बीजेपी के प्रत्याशी ही जीत रहे हैं। साल 2014 में बीजेपी के टिकट पर यहां से नित्यानंद राय जीते थे। वर्ष 2019 में भी बीजेपी ने नित्यानंद राय को मौका दिया और वह किला बचाने में सफल रहे। इस बार भी बीजेपी ने फिर से नित्यानंद राय को मैदान में उतारा है, जहां उनका मुकाबला आरजेडी के आलोक मेहता से है।
दरभंगा लोकसभा क्षेत्र से भी 2014 और 2019 के आम चुनाव में बीजेपी को जीत मिली। 2014 के चुनाव में यहां से बीजेपी के कीर्ति आजाद ने परचम लहराया तो 2019 में गोपालजी ठाकुर विजयी रहे। इस चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर गोपालजी ठाकुर पर दांव लगाया है। ठाकुर का मुख्य मुकाबला आरजेडी के ललित यादव से है।
दरभंगा, बेगूसराय और उजियारपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी के सामने अपनी जीत बरकरार रखने की चुनौती है, वहीं मुंगेर से जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह के लिए अपना किला बचाए रखना प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। पिछले चुनाव में यहां से ललन सिंह ने बड़ी जीत हासिल की थी। उसके पहले 2014 में भी यह सीट एनडीए के कब्जे में थी। तब एलजेपी के टिकट पर वीणा देवी को यहां से जीत मिली थी। इस चुनाव में ललन सिंह का मुकाबला आरजेडी की अनिता देवी से है।
समस्तीपुर सीट भी एनडीए के लिए प्रतिष्ठा की सीट बनी हुई है। समस्तीपुर में इस बार एलजेपी (रामिवलास) ने शांभवी चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है। 2019 में इस सीट से एलजेपी प्रत्याशी के रूप रामचंद्र पासवान की जीत हुई थी, हालांकि उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके पुत्र प्रिंस राज यहां से विजयी हुए थे। साल 2014 में भी एलजेपी के टिकट पर रामचंद्र पासवान को यहां से जीत मिली थी। इस चुनाव में शांभवी का मुकाबला कांग्रेस के सन्नी हजारी से है।