न्यूज़ डेस्क
यह बात और है कि पकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान इस बार कई मुश्किलों का सामना कर रहे हैं लेकिन गुरुवार को हुए चुनाव के बाद जो मतगणना जारी है उसमे इमरान की पार्टी को 154 सीटों पर बढ़त मिल गई है। ऐसे में अब इस बात की सम्भावना बढ़ गई है कि क्या पाकिस्तान में एक बार फिर से इमरान की वापसी हो सकती है।
पाकिस्तान में धांधली के आरोपों और सेल्युलर और इंटरनेट बंदी के बीच गुरुवार को मतदान संपन्न हो गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तमाम बंदिशों के बाद भी पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान की तहरीके इंसाफ पार्टी के समर्थन से खड़े हुए निर्दलीय उम्मीदवारों ने 100 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बना ली है और जीत की ओर बढ़ते दिख रही है।
वहीं, नवाज की शरीफ की पार्टी के उम्मीदवार करीब 45 सीटों पर आगे चल रहे थे और बिलावल भुट्टो की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के उम्मीदवार 30 सीटों पर बढ़त बनाए हुए थे। हालांकि गुरुवार शाम पांच बजे चुनाव समाप्त होने के बाद भी पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने इस पर अब तक कोई अपडेट नहीं दिया है। आधिकारिक रूप से वोटर टर्नआउट या फिर चुनाव में दलों की स्थिति पर कोई जानकारी नहीं दी जा रही है।
इसके पहले पाकिस्तानियों ने सर्द मौसम और हिंसा के खतरे का सामना करते हुए गुरुवार को नई संसद के लिए मतदान में हिस्सा लिया, जबकि एक दिन पहले ही ब्लूचिस्तान में दोहरे बम विस्फोटों में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी। हिंसा का दौर गुरुवार को भी जारी रहा, जहां आतंकी हमलों में 4 पुलिसकर्मियों समेत 12 लोगों की मौत हो गई।
एक अनुमान के अनुसार पाकिस्तान में 40-45% मतदान दर्ज किया गया, जो कि 2018 के 51 फीसदी मतदान से काफी कम माना जा रहा है। रुझानों और मीडिया रिपोर्टिंग के मुताबिक, चुनाव में इमरान खान की पार्टी तहरीके इंसाफ के समर्थन से खड़े उम्मीदवारों ने तमाम बंदिशों के बाद भी बेहतर प्रदर्शन किया है। वहीं, पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने भी अपनी पार्टी का बहुमत के साथ जीत का दावा किया है।
पाकिस्तान की 336 सदस्यीय नेशनल असेंबली में बहुमत के लिए 169 सीटों की आवश्यकता होगी। यहां मतदाता सीधे 266 सदस्यों का चुनाव करते हैं, जबकि सीटें 70 आरक्षित हैं। इनमें से 60 महिलाओं के लिए और 10 गैर-मुसलमानों के लिए आरक्षित होती हैं, जो कि प्रत्येक पार्टी द्वारा जीती गई सीटों की संख्या के अनुसार आवंटित की जाती हैं। इस तरह पड़ोसी देश में किसी भी पार्टी को बहुमत के लिए 133 सीटों पर सीधे चुनाव में विजय की जरूरत होती है।
यहां कुल 12.80 करोड़ रजिस्टर्ड वोटर हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक, नेशनल असेंबली की रेस में इस बार कुल 5,121 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें से 4,807 पुरुष, 312 महिलाएं और 2 ट्रांसजेंडर उम्मीदवार थे। आम चुनाव के साथ-साथ चार प्रांतों में भी चुनाव हुए, जिनमें कुल 12,695 उम्मीदवार खड़े हुए थे। इनमें 12,123 पुरुष, 570 महिलाएं और दो ट्रांसजेंडर उम्मीदवार थे।