विकास कुमार
मराठा समाज को आरक्षण मिलने में देरी पर मनोज जरांगे ने सवाल खड़ा किया है। जरांगे ने कहा कि मराठा आरक्षण पर वे राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार हैं। जरांगे ने कहा कि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को मराठों को कोटा देने में देरी पर राज्य सरकार से सवाल करना चाहिए था। उनका दावा है कि पवार आरक्षण के मुद्दे के खिलाफ बोलते रहे हैं। जरांगे मुंबई तक अपने मार्च के दौरान तीसरे दिन अहमदनगर जिले के एक गांव में ये बात कर रहे थे।
मनोज जरांगे ने मराठा आरक्षण देने का आदेश जारी करने तक बेमियादी उपवास पर बैठने की योजना बनाई है। जरांगे मांग कर रहे हैं कि मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र दिया जाए। इससे मराठा समाज को ओबीसी श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का लाभ मिलेगा। जारांगे ने कहा कि अजित पवार को मराठा आरक्षण मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरना चाहिए था। उन्हें पूछना चाहिए था कि आरक्षण देने में देरी क्यों हुई, लेकिन इसके बजाय, वह इस मुद्दे के खिलाफ बोल रहे हैं।
जरांगे का कहना है कि रैलियां आयोजित करना और मार्च करना लोकतंत्र के दायरे में आता है। जरांगे ने मुंबई में धरना प्रदर्शन की अनुमति भी मांगी है। उन्होंने कहा कि सरकार को मराठा समुदाय के मुद्दों को समझना चाहिए। जरांगे 26 जनवरी से मराठा कोटा मुद्दे पर अपनी भूख हड़ताल शुरू करने वाले हैं। वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पिछड़ा वर्ग आयोग को एक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है। इस सर्वेक्षण से मराठा समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन का आकलन किया जाएगा। वहीं शिंदे ने जरांगे से मुंबई न जाने की अपील की है। मराठा आरक्षण पर फैसला लेने के लिए फरवरी में विशेष विधानसभा सत्र आयोजित करने की भी योजना बनाई गई है। अब देखना होगा कि मनोज जरांगे का अगला कदम क्या होगा।