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अध्यक्ष बनने के बाद नीतीश की नई टीम,त्यागी और ताकतवर, महासचिव की संख्या 11

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एक लंबे जद्दोजहद के बाद नीतीश कुमार ने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को हटाकर खुद जेडीयू की कमान संभाल ली थी।और उसके बाद अब उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर अपने नई टीम का भी गठन कर लिया है। नीतीश कुमार की इस नई टीम में बड़ी जिम्मेदारी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के तौर पर सौंप गई है। वहीं पूर्व सांसद केसी त्यागी को और ज्यादा ताकत प्रदान करते हुए नीतीश कुमार ने उन्हें राजनीतिक सलाहकार के साथ राष्ट्रीय प्रवक्ता भी बनाया है।नीतीश कुमार ने आलोक कुमार सुमन को फिर से जेडीयू का कोषाध्यक्ष नामित किया है।

जेडीयू में होंगे 11 महासचिव

किसी पार्टी के लिए राष्ट्रीय महासचिव का पद बहुत महत्वपूर्ण होता है।इस दृष्टिकोण से नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाली जेडीयू ने अपने पार्टी के लिए 11 महासचिवों के नाम की घोषणा की है। इन महासचिवों में मंत्री संजय जा, राजसभा सांसद रामनाथ ठाकुर ,अली अशरफ फातमी, मंगनी लाल मंडल, असफाक अहमद, भगवान सिंह कुशवाहा, कहकशा परवीन, रामसेवक सिंह, कपिल हरिश्चंद्र, इंजीनियर सुनील और राज सिंह मान शामिल है।वहीं राष्ट्रीय सचिव की लिस्ट में राजीव रंजन प्रसाद, विद्यासागर निषाद ,अनूप पटेल दयानंद राय, संजय कुमार और मोहम्मद निसार को जगह मिली है,जबकि पूर्व विधायक राजीव रंजन को जेडीयू का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया है।

पार्टी में कुछ नेताओं का कद बढ़ा

नीतीश कुमार ने अपनी इस नई टीम में कई लोगों की जिम्मेदारी बढ़ाई है। जदयू में नीतीश के बाद दूसरा नंबर वशिष्ठ नारायण का है ,जो जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने हैं।इसके अलावा नीतीश कुमार की नई टीम में केसी त्यागी की जिम्मेदारी भी बढ़ाई गई है।अब वे पार्टी में नंबर तीन के पदाधिकारी हैं ।उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता के साथ-साथ राजनीतिक सलाहकार की भी जिम्मेदारी सौंप गई है।

गौरतलब है की बीते वर्ष दिसंबर के आखिर में एक लंबे जद्दोजहद के बाद पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से इस्तीफा दिलवाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जेडीयू की कमान अपने हाथों में ली थी ।यह बात अलग है कि नहीं चाहते हुए भी नीतीश कुमार और अन्य पार्टी नेताओं के दबाव की वजह ललन सिंह को ही जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए नीतीश कुमार का नाम प्रस्तावित करना पड़ा था और उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा नहीं कर पाने की बात करते हुए इस्तीफा देना पड़ा था।

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