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Atal bihari Vajpayee से लेकर Narendra Modi तक- आखिर कितनी बदली है BJP

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विकास कुमार
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अकसर तुलना की जाती है। वाजपेयी से मोदी युग आते आते बीजेपी में कई बड़े बदलाव हुए हैं। वाजपेयी के दौर में बीजेपी विपक्षी दलों के साथ संवाद का रिश्ता कायम रखती थी,लेकिन मोदी युग में विपक्ष के साथ बीजेपी नेताओं के रिश्ते तल्ख होते जा रहे हैं। आए दिन बीजेपी और विपक्ष के नेताओं में जुबानी जंग छिड़ जाती है,लेकिन मोदी सरकार की तरफ से विवादों को सुलझाने का प्रयास नहीं किया जाता है। जबकि वाजपेयी के जमाने में विपक्ष के नेताओं से सकारात्मक संवाद कायम किया जाता था।

वाजपेयी युग में बीजेपी के भीतर के फैसले सामूहिक विचार विमर्श से लिए जाते थे,लेकिन अब बीजेपी में सेंटर ऑफ पावर केवल मोदी ही हैं और उन्हीं के पसंद के आधार पर पार्टी में सारे बड़े फैसले लिए जाते हैं। हाल ही में तीन राज्यों में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल की थी। इन तीनों राज्यों में मोदी के पसंद के आधार पर ही नए मुख्यमंत्री चुने गए। वहीं शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे जैसे अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया।

वहीं वाजेपेयी युग में फैसले सामूहिक नेतृत्व के आधार पर लिए जाते थे। अटल,आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे नेता संवाद के जरिए फैसले लेते थे। साथ ही सहयोगी दलों के नेताओं जैसे नीतीश कुमार,उद्धव ठाकरे और बादल परिवार से भी सलाह मशविरा लिया जाता था। वाजपेयी सहयोगी दलों के नेताओं को भी भरोसे में लेकर ही फैसला लेते थे,लेकिन अब हालात बिल्कुल बदल चुके हैं। एक जमाने में बीजेपी के सहयोगी रहे ये दल अब मोदी युग में बीजेपी से दूर हो चुके हैं। नीतीश कुमार,उद्धव ठाकरे और बादल परिवार से मोदी ने किनारा कर लिया है। एक जमाने में बीजेपी की सहयोगी रही शिवसेना जैसे सहयोगी दल को भी दो फाड़ में बांट दिया है।

वाजपेयी युग की तुलना में मोदी युग में बीजेपी के संगठन का विस्तार हुआ है। एक जमाने में बीजेपी ब्राह्मण और बनियों की पार्टी थी,लेकिन मोदी ने इस छवि को पूरी तरह से बदल दिया है,अब बीजेपी में पिछड़े और अति पिछड़े समाज के नेताओं को भी पूरी तवज्जो मिल रही है।

बीजेपी के लिए वाजपेयी और मोदी युग में एक समस्या समान रूप से कायम रही है। दक्षिण भारत में बीजेपी का पहले भी विस्तार नहीं हुआ था और मोदी युग में भी दक्षिण भारत में बीजेपी का अश्वमेध रथ का पहिया एक कदम भी बढ़ नहीं पा रहा है।

वाजपेयी की बीजेपी अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई थी लेकिन मोदी की बीजेपी ने दो बार लगातार केंद्र में बहुमत की सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की है। साफ है कि मोदी युग में बीजेपी की ताकत का विस्तार हुआ है। वाजपेयी की छवि एक उदारवादी और सेकुलर नेता की थी। अगर वाजपेयी के थोड़े से गुण मोदी अपने व्यक्तित्व में अपना लेंगे तो वे और भी लोकप्रिय हो जाएंगे।

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