विकास कुमार
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू के ठिकानों से अब तक तीन सौ 53 करोड़ रुपए बरामद किए जा चुके हैं। टकसाल में काम करने वाले कर्मचारी के अलावा किसी ने भी इतने नोट एक साथ नहीं देखे होंगे। इतनी भारी नकदी बरामद होने के बाद कांग्रेस पार्टी भले ही साहू से पल्ला झाड़ रही हो लेकिन पार्टी के फंड मैनेजर धीरज कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं के लिए एटीएम रहे हैं। दिल्ली के कांग्रेस मुख्यालय में प्रभावशाली नेताओं तक उनकी सीधे एंट्री रही है। पार्टी नेता बताते हैं कि दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में वे बिना रोकटोक के तमाम प्रमुख नेताओं के पास जाते थे।
साल 2009 में धन के प्रभाव से ही पहली बार साहू को राज्यसभा में बैठने का मौका मिला,ये सिलसिला आगे भी बरकरार रहा। धीरज साहू ने इसके बाद 2010 और 2018 में भी राज्यसभा चुनाव में बाजी मारी। अब नोटों के बोझ तले उनका राजनीतिक करियर मुश्किल दौर से गुजर रहा है,तो कांग्रेस आलाकमान ने उनसे पल्ला झाड़ते हुए स्पष्टीकरण पूछा है,हालांकि चौतरफा मुश्किलों में घिरे धीरज प्रसाद साहू चुप्पी साधे हुए हैं।
2018 में राज्य सभा के लिए चुने जाने की प्रक्रिया में धीरज साहू ने जो हलफनामा दायर किया था,इसमें उन्होंने अपनी संपत्ति 34 करोड़ 83 लाख रुपए बताई थी। उन्होंने 2 करोड़ 4 लाख रुपए की चल संपत्ति होने का दावा भी किया था। अब यही हलफनामा धीरज साहू के गले की फांस बन गया है।
धीरज साहू का परिवार झारखंड का एक बड़ा व्यावसायिक घराना है,देसी शराब के कारोबार से लेकर होटल व्यवसाय और कई बड़ी कंपनियों की एजेंसियां इनके पास है। ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी साहू परिवार का भारी निवेश रहा है। इसके अलावा बॉटलिंग प्लांट, अस्पताल समेत कई एफएमसीजी कंपनियों की एजेंसी इस परिवार के पास है। ओडिशा के बौध डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड और उससे जुड़ी कई कंपनियों का मालिकाना हक साहू परिवार के पास है। बलदेव साहू इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी भी इसी परिवार की मलकियत है।
कारोबार से ही धीरज साहू ने अकूत संपत्ति जमा की है,लेकिन साहू ने कमाई के मुताबिक सरकार को इनकम टैक्स नहीं चुकाया है। आज इसी गलती की सजा धीरज साहू भुगत रहे हैं।