Homeदेशजानिए इंदौर में दो करोड़पतियों के बीच चुनावी भिड़ंत की गाथा 

जानिए इंदौर में दो करोड़पतियों के बीच चुनावी भिड़ंत की गाथा 

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अखिलेश अखिल

मध्यप्रदेश में किसकी सरकार बनेगी यह तो जनता को तय करना है लेकिन सूबे की राजनीतिक गलियारों में जो चर्चा चल रही है वह भ्रमित भी कर रही है और लुभा भी रही। बहुतेरे लोग मजा भी ले रहे हैं। एक कद्दावर नेता है। एक बड़ी पार्टी के महासचिव हैं। इस पार्टी की केंद्र में सरकार है और कई राज्यों में सत्ता की पहुँच भी। दूसरी तरफ एक ऐसे विधायक खड़े हैं जिनकी पहचान सूबे के सबसे मालदार और धनी विधायकों के रूप में होती है। इनकी पार्टी को इनपर नाज भी है। जीत हो गई तो उन्हें पुरस्कार भी मिलेंगे और हार गए तो इनके धन की नाकामी की चर्चा भी होगी। इन दोनों नेताओं के नाम है कैलाश विजयवर्गीय और संजय शुक्ल। विजयवर्गीय बीजेपी के बड़े नेता है और पार्टी के महासचिव भी। उधर  संजय शुक्ल कांग्रेस के विधायक है। इन दोनों के बीच इंदौर एक सीट पर टक्कर हो रही है। दोनों के वजूद का सवाल है। विजय वर्गीय 14 करोड़ के मालिक हैं तो सदनजय शुक्ल 217 करोड़ की तिजारत करते हैं। बड़े धनी है। सैकड़ो गाड़िया भी रखते हैं। साइकिल से लेकर हर एक महँगी गाडी उनके पास है।
                    बीजेपी ने सोंच कर विजयवर्गीय को खड़ा किया है। वे काफी समय से प्रदेश में सीएम बनने को बेताव थे। पार्टी ने चुनाव में उतार दिया। पार्टी ने कहा कि सीएम बनाना है तो चुनाव जीतकर दिखाओ। अगर जीत गए तो मौका मिल सकता है और हार गए तो घर बैठने का मौका मिलेगा। पार्टी की सेवा बहुत हो गई अब सुस्ताने की जरूरत है। विजयवर्गीय वैसे चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे लेकिन कैरियर का सवाल है और वजूद का भी।
   उधर संजय शुल्का की भी कुछ यही कहानी है। वे विधायक तो हैं ही। उन्हें यह भी कहा गया है कि अगर चुनाव जीत गए तो उनपर पार्टी का विश्वास बढ़ेगा। वे पार्टी के कद्दावर नेता होंगे और लोकसभा चुनाव में भी उन्हें उतारा जा सकता है। पार्टी की जीत हो गई तो मंत्री बनाना तो तय सा है। दोनों तरफ लोभ और लालच भी है और चुनौती भी। एमपी की जनता और खासकर इंदौर की जनता दोनों की हालत पर मजे भी ले रही है। अलग -अलग तरह की बाते कही जा रही है और इन दोनों की राजनीति से जुड़े कई किस्से भी तैर रहे हैं।
                        विजय वर्गीय को ही ले लीजिये। 2013 के चुनाव तक उनकी संपत्ति मात्र ढाई करोड़ की थी लेकिन दस साल में 14 करोड़ के मालिक हो गए। जनता यह भी कह रही है कि इतने पैसे कहाँ से आये हैं यह तो नेता जी ही बताएँगे। कई लोगों ने पूछा भी लेकिन जवाब कौन देगा ? संजय शुक्ल तो और भी आगे के आदमी हैं। 2018 के चुनाव में उनकी संपत्ति 139 करोड़ की थी लेकिन बीते पांच सालों में उनकी संपत्ति 217 करोड़ हो गई है। कह सकते हैं कि पांच साल में उनकी संपत्ति में 78 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है।
    इन करोड़पतियों की लड़ाई में जनता भी कुछ पाने को इच्छुक है। जो भी मिल जाए। जनता दोनों से खफा है। वे इन नेताओं को पसंद तो नहीं करते लेकिन वोट भी इन्ही दोनों को पड़ेंगे। किसको ज्यादा वोट पडेगा यह कौन जनता है ? लेकिन राजनीतिक खेल यह है कि दोनों तरफ से जीत की दुदुम्भी बज रही है। जनता मूक दर्शक होकर दोनों नेताओं के चरित्र का बखान कर रही है और बड़ी बात तो यही है कि दोनों नेताओं के प्रचार में शामिल लोग जब आपस में मिलते हैं तो ठहाके लगा रहे हैं। लोकतंत्र यह यह खेल लुभावना जो है।

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