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कपास की खेती करने के बावजूद विदर्भ के किसानों को क्यों हो रहा नुकसान?

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विकास कुमार
महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में कई तरह की फसलें उगाई जाती हैं। कपास,सोयाबीन,ज्वार और मोटे अनाज की खेती विदर्भ के किसान करते हैं। विदर्भ में कपास और सोयाबीन की सबसे बड़े पैमाने पर खेती की जाती है,लेकिन बीटी कपास की फसल से किसानों को उम्मीद के मुताबिक मुनाफा नहीं मिल रहा है। नागपुर के किसान आपस में एक कहावत कहते हैं,अगर हम कपास बोते हैं, तो हम बर्बाद हो सकते हैं, अगर हम नहीं करते हैं, तो भी हम बर्बाद हो जाते हैं। यानी कपास की खेती करने वाले भी बर्बाद हो जाते हैं और खेती नहीं करने पर तो दो पैसे की भी आमदनी नहीं हो पाती है। ज्यादातर किसानों को उनकी औसत उपज का एक चौथाई से भी कम हासिल हुआ और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा,लेकिन गैर सिंचित भूमि पर कपास की खेती करना किसानों के लिए बड़ी मजबूरी है।

विदर्भ के किसानों को कपास की खेती में कीड़ों की वजह से भी नुकसान उठाना पड़ता है। कपास के फसल पर गुलाबी बॉलवर्म के हमले से किसानों की आमदनी पर बुरा असर पड़ा है। मराठवाड़ा और विदर्भ के कृषि संकटग्रस्त क्षेत्रों के 41 लाख किसानों को भारी संकट का सामना करना पड़ा है। इसके बावजूद शुष्क मराठवाड़ा में भी, घाटे के बावजूद किसानों का कहना है कि वे कपास की खेती करेंगे, हालांकि वे खेती का रकबा कम कर सकते हैं। कठिनाइयों के बावजूद, अधिकांश किसान महसूस करते हैं कि कपास उन्हें अन्य फसलों की तुलना में अधिक रिटर्न दे सकता है।

महाराष्ट्र में कीट के हमले से पता चला है कि गुलाबी बॉलवर्म ने बीटी कपास में विषाक्त पदार्थों के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लिया है। कपास की खेती के तहत 90 फीसदी से अधिक भूमि पर बीटी कपास की खेती होती है। चिंता की बात ये है कि मिट्टी में मौजूद गुलाबी बॉलवर्म कपास की फसल पर हमला करता रहता है। गुलाबी बॉलवर्म के हमले से बचाव के लिए बड़े पैमाने पर कीटनाशकों का इस्तेमाल करना पड़ता है। इससे विदर्भ के किसानों का खेती पर खर्च बढ़ता ही चला जाता है। गुलाबी बॉसवर्म से बचाव के लिए पूरे विदर्भ में गिन्नरियों में फेरोमोन जाल लगाए गए थे,लेकिन अमेरिक बॉलवर्म के हमले का खतरा बना ही रहता है,ऊपर से नकली बीजों की वजह से विदर्भ के किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता हैं

विदर्भ के किसानों को उनकी फसलों की उचित कीमत सरकार को देनी चाहिए। साथ ही कीटों से बचाव के लिए गांव में किसानों के बीच जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। इससे विदर्भ के लाखों किसानों को राहत मिलेगी।

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