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कर्नाटक में अमित शाह ने कांग्रेस के साथ कर दिया बड़ा खेल, NDA में शामिल हुए JDS नेता एचडी कुमारस्वामी

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विकास कुमार
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव बुरी तरह से हारने के बाद बीजेपी आलाकमान डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश लंबे अरसे से कर रहा था। इस दिशा में बीजेपी को अब जाकर बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्युलर यानी जेडीएस ने एनडीए में शामिल होने का ऐलान किया है। गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर जेडीएस के नेता एचडी कुमारस्वामी ने उनसे मुलाकात की। इस दौरान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रहे। बताया जा रहा है कि तीनों नेताओं के बीच लोकसभा चुनाव के लिए कर्नाटक की सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा हुई। बैठक के बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बताया कि जेडीएस, एनडीए में शामिल हो गई है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि कर्नाटक के पूर्व सीएम और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी से गृह मंत्री अमित शाह की मौजदूगी में मुलाकात की। मुझे खुशी है कि जेडीएस ने एनडीए में शामिल होने का फैसला लिया,हम एनडीए में उनका तहे दिल से स्वागत करते हैं। यह एनडीए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण नए इंडिया, मजबूत भारत को और मजबूत करेगा।

वहीं एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि उनका बीजेपी से गठबंधन हो गया है और आगे अब सीट शेयरिंग को लेकर वे चर्चा करेंगे। दरअसल कर्नाटक में मई में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को एक सौ 35 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं बीजेपी को कर्नाटक की सत्ता से हाथ धोना पड़ा था। बीजेपी को 66 और जेडीएस को 19 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। इसलिए कर्नाटक में मजबूत कांग्रेस को मात देने के लिए कुमारस्वामी और नड्डा ने हाथ मिला लिया। दरअसल बीजेपी के पास कर्नाटक का लिंगायत वोटर है तो वहीं कुमारस्वामी के पास वोक्कालिगा वोटरों का समर्थन हासिल है। इस नए गठबंधन के जरिए कर्नाटक की दो सबसे शक्तिशाली जाति लिंगायत और वोक्कालिगा को साथ लाने की रणनीति है। अगर ये दो जातियां एनडीए के साथ आ गई तो कांग्रेस के लिए कर्नाटक में बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाएगी।

कर्नाटक में वोक्कालिंगा की आबादी 15 से 17 फीसदी है,दक्षिणी कर्नाटक में वोक्कालिंगा वोटरों की बड़ी आबादी रहती है। मांड्या,हसन,मैसूर,बेंगलुरु,तुमकुर,कोलार,चिक्काबल्लापुर और चिक्का मेंगलौर में वोक्कालिंगा समाज की ज्यादा आबादी है। चित्रदुर्ग,शिमोगा,दक्षिण कन्नड़ और उडुपी जिले में भी वोक्कालिगा का असर है। कर्नाटक में दस से पंद्रह लोकसभा सीट पर जीत हार तय करने में वोक्कालिगा वोटरों की अहम भूमिका है।

हालांकि लंबे अरसे तक वोक्कालिगा और लिंगायत अलग अलग पैटर्न से वोट डालते रहे हैं। इसलिए एक झटके में उनका एक साथ आना इतना आसान नहीं होगा। खैर एनडीए ने कर्नाटक में डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है,लेकिन ये कोशिश कितनी सफल होगी ये तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे।

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