विकास कुमार
महाराष्ट्र में इस साल अब तक छह सौ 85 किसानों ने आत्महत्या की है। शिंदे फडणवीस सरकार के सारे दावों की पोल खुल गई है। मोदी सरकार ने दावा किया था कि 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना कर दिया जाएगा। लेकिन महाराष्ट्र के किसानों की स्थिति में मोदी सरकार कोई सुधार नहीं ला पाई। इसी का नतीजा है कि साल 2023 में अब तक छह सौ पचासी किसानों ने आत्महत्या कर ली है। महाराष्ट्र के आठ जिले- औरंगाबाद, जालना, बीड, परभनी, नांदेड, उस्मानाबाद, हिंगोली और लातूर में किसान ज्यादा संकट में हैं।
महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में किसानों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है। खराब फसल, कर्ज चुकाने का दबाव और खराब माली हालत के चलते किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं।
एक आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक, मौत का सबसे ज्यादा आंकड़ा बीड जिले से है। बीड़ जिले में इस साल अब तक एक सौ 86 किसान मौत को गले लगा चुके हैं। उस्मानाबाद में एक सौ 13 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। तीसरा नंबर नांदेड का है, जहां एक सौ 10 किसानों ने जान दी है। औरंगाबाद में 95, परभनी में 58, लातूर में 51, जालना में 50 और हिंगोली में 22 किसान आत्महत्या कर चुके हैं।
बीड महाराष्ट्र के मौजूदा कृषि मंत्री धनंजय मुंडे का गृह जिला है। मुंडे एनसीपी के अजित पवार गुट का हिस्सा हैं, जिसने हाल ही में शरद पवार के नेतृत्व को ठुकराते हुए सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल होने का फैसला किया था। मुंडे को इसके दो हफ्ते बाद ही शिंदे सरकार में कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी मिल गई थी। लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या बीड़ जिले में ही की है।
सबसे चिंता की बात ये है कि मराठवाड़ा का सूखा किसानों के लिए बड़ी समस्या बन चुका है। महाराष्ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र इस साल भी बारिश की कमी से जूझ रहा है। यहां इस मानसून सीजन में बीस दशमलव सात फीसदी तक कम बारिश हुई है। शिंदे सरकार को मराठवाड़ा में सूखे की मार झेल रहे किसानों की मदद के लिए आगे आना पड़ेगा और किसानों की आत्महत्या को रोकना होगा।