Homeदेशचुनाव आयुक्त की तैनाती पर सुप्रीम सवाल:बिजली की तेजी से नियुक्ति क्यों?

चुनाव आयुक्त की तैनाती पर सुप्रीम सवाल:बिजली की तेजी से नियुक्ति क्यों?

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नई दिल्ली: सु्प्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अरुण गोयल को बतौर चुनाव आयुक्त नियुक्त करने में केंद्र सरकार की बिजली की गति वाली तेजी पर सवाल उठाया है। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति पर सुनवाई के तीसरे दिन सुप्रीम कोर्ट ने गोयल की नियुक्ति की फाइल देखकर कहा कि फाइल 24 घंटे भी नहीं घूमी,यह किस तरह का मूल्यांकन है? हम व्यक्ति की योग्यता पर नहीं, बल्कि प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि सरकार के हर कदम पर संदेह करने में आयोग को अखंडता, स्वतंत्रता और सार्वजनिक धारणा प्रभावित होगी।

जस्टिस केएम जोसेफ की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग वाली याचिकाओं पर सभी पक्षों को सुनने के बाद गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। इससे पहले पीठ ने सरकार से पूछा कि गोयल की नियुक्ति से पहले कानून मंत्रालय ने किस आधार चार नाम तय किये। केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अर्टानी जनरल आर वेंकटरमणी ने जवाब दिया कि इसके कुछ तय मानदंड हैं।

कोर्ट ने पूछा 15 मई से 18 नवंबर तक आपने क्या किया

जस्टिस जोसेफ ने वेंकटरमणी से पूछा कि 18 नवंबर को हम मामले की सुनवाई करते हैं जिस दिन आप फाइल पेश करते हैं, उसी दिन अरुण गोयल के नाम की सिफारिश की जाती है। यह जल्दबाजी क्यों? जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा कि पद 15 मई से रिक्त था। क्या आप दिखा सकते हैं कि 15 मई से 18 नवंबर तक आपने क्या किया? सरकार को क्या हो गया कि एक ही दिन में सुपरफास्ट नियुक्ति कर दी।

कोर्ट को इसे समग्रता से देखना चाहिए – अटॉर्नी जनरल

इस पर वेंकटरमणी ने कहा कि कितनी ही नियुक्तियां इतनी तेजी से होती हैं। 2015 के बाद से कई नियुक्तियां तेजी से हुई हैं। कोर्ट को इसे समग्रता से देखना चाहिए। जस्टिस जोसेफ ने कहा कि हम वास्तव में ढांचे को लेकर चिंतित हैं। आपने चार नामों की सिफारिश की है। मैं समझना चाहता हूं कि नामों के विशाल भंडार में से आप किसी नाम का चयन कैसे करते हैं? जस्टिस जोसेफ व जस्टिस रस्तोगी के अलावा पीठ में जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ऋषिकेष रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार शामिल हैं।

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