न्यूज़ डेस्क
कुछ ही महीने बाद गुरुग्राम समेत दिल्ली में जी 20 की बैठक होने वाली है और हरियाणा के नूंह समेत एनसीआर में जिस तरह की साम्प्रदायिक हिंसा हुई है उससे दुनिया भर की मीडिया में इसकी काफी चर्चा चल रही है। हिंसा की वजह से राजधानी दिल्ली में होने वाली जी-20 की बैठक की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए गए हैं। इस बैठक में शिरकत करने के लिए दुनियाभर से नेता आने वाले हैं। खुद गुरुग्राम में भी जी-20 की एक बैठक होनी है।
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने ‘हिंदू राष्ट्रवादी नेताओं के राज में भारत में तेजी से सांप्रदायिक हिंसा बढ़ रही है’ के शीर्षक से खबर प्रकाशित की है। अखबार ने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत से हिंसा की इस तरह की तस्वीर आना असामान्य नहीं है। लेकिन ये खबरें तब सुर्खियां बन रही हैं, जब सितंबर में जी-20 की बैठक होने वाली है। भारत को इस बार जी-20 की मेजबानी मिली है।
जर्मनी के सरकारी मीडिया डीडब्ल्यू ने ‘दिल्ली के नजदीक हिंदू-मुस्लिम झड़प में कई लोगों की मौत’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की है। इसमें लिखा गया कि गुरुग्राम में मस्जिद में आग लगा दी गई और वहां के इमाम की हत्या हुई। हिंसा की वजह से इंटरनेट पर पाबंदियां लगाई गई हैं। डीडब्ल्यू ने दिल्ली हिंसा का जिक्र करते हुए लिखा कि 2020 में भी भारत ने सबसे खराब हिंदू-मुस्लिम दंगे देखे थे।
पाकिस्तानी अखबार डॉन लिखता है कि भारत में अगले साल चुनाव होने हैं। ऐसे में चुनावों में बीजेपी को मदद पहुंचाने के लिए संघ परिवार ने ये चालें चली हैं। संघ सांप्रदायिक हिंसा को हवा देकर बीजेपी के कट्टरपंथी वोटर्स को आश्वासन दे रहा है कि मुस्लिमों के खिलाफ पार्टी का रुख ‘सख्त’ है। हरियाणा में जिस तरह की हिंसा हुई है, वो ये बातें बयां कर रही है। पहले भी चुनाव से पहले कई राज्यों में हिंसा हुई है।
रॉयटर्स ने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार हिंदू राष्ट्रवादियों की सरकार है। हालात ये हो चुके हैं कि 20 करोड़ मुसलमानों में से कई लागों ने अपनी जगह को लेकर सवाल उठाया है। मुस्लिमों के साथ हुई हिंसा ने उनके भीतर डर पैदा किया है। गोमांस ले जाने के शक में पिटाई के कई मामले सामने आए हैं। जी-20 बैठक से एक महीने पहले दिल्ली के बाहरी इलाके में फैली हिंसा ने सवाल खड़ा करके रख दिया है।
एसोसिएटेड प्रेस लिखता है कि भारत में सांप्रदायिक हिंसा का इतिहास रहा है। 1947 में विभाजन के बाद भी हिंसा की खबरें आती रही हैं। लेकिन पर्यवेक्षकों ने बार-बार ये बातें दोहराई हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज में भारत में धार्मिक ध्रुवीकरण में इजाफा हुआ है। यही वजह है कि देशभर में धार्मिक अल्पसंख्यकों को लगातार निशाना बनाने के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है।
कतर की समाचार वेबसाइट ‘अल जजीरा’ ने नूंह में हुई हिंसा की तुलना जर्मनी में नाजियों के शासन से करते हुए लेख लिखा है।अल जजीरा ने 1933 की एक घटना का जिक्र करते हुए लिखा कि किस तरह वहां 20 हजार किताबों को आग के हवाले किया गया। इसमें लिखा गया कि हरियाणा की हिंसा की वजह से मुस्लिम अब और भी ज्यादा घेटो में रहने के लिए मजबूर होंगे।