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मणिपुर वायरल वीडियो पर सुनवाई के दौरान आज सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि जब घटना 4 मई को हुई तो एफआईआर 18 मई को क्यों दर्ज की गई? 4 मई से 18 मई तक पुलिस क्या कर रही थी? यह घटना सामने आई कि महिलाओं को नग्न कर घुमाया गया और कम से कम दो के साथ बलात्कार किया गया। पुलिस क्या कर रही थी?
मणिपुर पर लंच के बाद सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि ‘आप कहते हैं कि 6000 एफआईआर फाइल हुई हैं… डीटेल क्या है… महिलाओं के खिलाफ कितने अपराध हुए… पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान के कितने मामले हैं?’ सीजेआई ने वायरल वीडियो के मामले में जीरो एफआईआर दर्ज ने करने पर भी नाराजगी जाहिर की।
मणिपुर पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा की कितनी एफआईआर दर्ज की गई हैं। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इन तीन महिलाओं का वीडियो यौन शोषण का इकलौता मामला नहीं है, ऐसे और भी मामले हुए हैं… हम सुनिश्चित करेंगे कि इन तीन महिलाओं के साथ न्याय हो।हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा के व्यापक मुद्दे को देखने के लिए एक तंत्र भी बनाना होगा। इस तंत्र को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे सभी मामलों का ध्यान रखा जाए…
बता दें कि मणिपुर में यौन हिंसा की शिकार दो महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल उनकी तरफ से पेश हुए। सिब्बल ने बताया कि पीड़िताएं नहीं चाहतीं कि मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए। याचिकाकर्ताओं ने मामले का ट्रायल असम ट्रांसफर किए जाने का भी विरोध किया। सिब्बल ने कहा कि हमने मामले को मणिपुर से बाहर रखने की बात कही थी, असम नहीं। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ऐसे कई मामले आए हैं। 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले का स्वतः: संज्ञान लेते हुए केंद्र व राज्य सरकार को निर्देश जारी किए थे। अदालत ने यह भी कहा था कि अगर सरकार कुछ नहीं करती तो उसे दखल देना पड़ेगा। जवाब में केंद्र ने कहा था कि मामले की जांच सीबीआई को दे दी गई है।
मणिपुर वीडियो मामला : सुप्रीम कोर्ट ने पूछा 4 मई की घटना की एफआईआर 18 मई को क्यों दर्ज हुई?
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