विकास कुमार
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद अभी भी जारी है,दोनों देशों की सेना के बीच विवाद को खत्म करने के लिए कई स्तर पर बातचीत हो चुकी है। लेकिन अभी भी भारत और चीन के बीच सीमा विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। हर बार चीन कुछ ऐसा करता है जिससे विवाद खत्म होने की बजाय और बढ़ जाता है। अब एक बार फिर चीन ने पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक फैली एलएसी पर सैन्य गतिविधियों को बढ़ा दिया है। इसी बीच आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे ने लेह में 14 कोर मुख्यालय का दौरा किया और हालात का जायजा लिया।
भारतीय आर्मी चीफ मनोज पांडे चीन से लगी सीमाओं का जायजा ले रहे हैं। बताया जा रहा है कि सीमा के नजदीक अपनी सैन्य ताकत को एक बार फिर चीन बढ़ा रहा है। यही वजह है कि आर्मी चीफ हालात को देखते हुए सीमा के कुछ और इलाकों का भी दौरा कर सकते हैं। हाल ही में पाकिस्तानी सीमा के पास जनरल पांडे ने सियाचिन ग्लेशियर का भी दौरा किया था।
कुछ महीने पहले अप्रैल में चीन और भारत की सेना के बीच बातचीत हुई थी। तब चीनी सेना ने देपसांग और डेमचोक में चार्डिंग निंगलुंग नाला से सेना हटाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद दोनों देशों के बीच कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता का 19वां दौर शुरू होना है।
चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने पूर्वी लद्दाख में सैन्य टकराव को कम करने को लेकर अब तक कोई भी कदम नहीं उठाया है। इसके उलट वो इन इलाकों में लगातार अपनी सैन्य ताकत को मजबूत करने में जुटा है। चीन ने सीमा के इन इलाकों में चीनी सेना सतह से हवा में मार करने वाली घातक मिसाइल, रडार और गोला-बारूद के साथ मौजूद है।
वहीं चीनी सेना की मौजूदगी पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मोदी सरकार के रवैये पर सवाल उठाया है। कांग्रेस ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान मौजूदगी की मंजूरी को लेकर सवाल उठाया है। कांग्रेस ने विदेश मंत्रालय के बयान को लेकर सवाल उठाया है, कांग्रेस ने सवाल पूछा है कि क्या बीजिंग के साथ सीमा विवाद सुलझ गया है?
रमेश ने मोदी सरकार से ये भी पूछा कि क्या चीनी सैनिक देपसांग और डेमचोक से पीछे हट जाएंगे? दरअसल विदेश मंत्रालय ने कहा था कि नरेन्द्र मोदी और शी जिनपिंग ने बाली में जी20 शिखर सम्मेलन में एक-दूसरे का अभिवादन स्वीकार किया था,और द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर बनाए रखने की जरूरतों पर बातचीत की थी।
चीनी सेना की धूर्तता से पूरी दुनिया वाकिफ है, इसलिए एलएसी पर भारतीय सेना को पूरी तरह से सतर्क रहना चाहिए और चीन की किसी भी हरकत का मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए।