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मोदी सरनेम केस : राहुल की याचिका पर अब चार अगस्त को होगी सुनवाई , गजरात सरकार और पूर्णेश मोदी को नोटिस जारी —

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न्यूज़ डेस्क 

मोदी सरनेम मामले में राहुल गाँधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए आज शीर्ष अदालत ने जहाँ सुनवाई की अगली तारीख चार अगस्त को निर्धारित किया है वही गुजरात सरकार और पूर्णेश मोदी को भी नोटिस भेजा है। पूर्णेश मोदी ने ही राहुल के ऊपर मानहानि का मुकदमा किया था। और बाद में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कैवियट दायर की थी।          
आज सुनवाई के दौरान पूर्णेश ने नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से 21 दिन का समय मांगा, लेकिन कोर्ट ने उन्हें 10 दिन की मोहलत दी। कोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर सीमित प्रश्न यह है कि क्या दोषसिद्धि निलंबित किए जाने योग्य है? मामले की अगली सुनवाई चार अगस्त को होगी। बता दें कि इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने हाईकोर्ट के फैसले को शीर्ष अदालत ने चुनौती दी।   
 याचिका में कहा गया  कि अगर विवादित फैसले पर रोक नहीं लगाई गई, तो इससे स्वतंत्र भाषण, स्वतंत्र अभिव्यक्ति, स्वतंत्र विचार और स्वतंत्र बयान का दम घुट जाएगा। याचिका में यह भी कहा गया कि राहुल को दोषी ठहराने और दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार करने की गलती तीन बार की गई। यह और भी बड़ा कारण है कि शीर्ष कोर्ट को जल्द से जल्द मामले में दखल दे और जो भी नुकसान हुआ, उसे रोके। याचिका में कहा गया कि अगर याचिकाकर्ता की सजा पर रोक नहीं लगाई गई तो वह अपने करियर के अहम आठ साल गंवा सकते हैं।
            राहुल ने याचिका में कहा कि अगर हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई गई तो इससे लोकतांत्रिक संस्थानों को व्यवस्थित तरीके से बार-बार कमजोर करने की कोशिशों को बल मिलेगा। इससे लोकतंत्र का दम घुट जाएगा। यह भारत के राजनीतिक माहौल और भविष्य के लिए हानिकारक होगा।
           बता दें कि 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, ‘कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?’ इसी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
              23 मार्च को निचली अदालत ने राहुल को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। इसके अगले ही दिन राहुल की लोकसभा सदस्यता चली गई थी। राहुल की अपना सरकारी घर भी खाली करना पड़ा था। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ दो अप्रैल को राहुल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस प्रच्छक ने मई में राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद सात जुलाई को कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया और राहुल की याचिका खारिज कर दी थी।
                 फिर गुजरात हाइ्रकोर्ट ने राहुल की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि राजनीति में शुचिता’ अब समय की मांग है। जनप्रतिनिधियों को साफ छवि का होना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा था कि दोषसिद्धि पर रोक लगाना नियम नहीं, बल्कि अपवाद है। 

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