पटना (बीरेंद्र कुमार):शराब के दुष्परिणाम को लेकर नीतीश कुमार खासा संजीदा रहते हैं। मुख्यमंत्री के रूप में चाहे वह भारतीय जनता पार्टी के साथ रहे, या आरजेडी के साथ हर स्थिति में शराबबंदी वाली उनकी नीति राज्य में लागू रहती है। लेकिन अब शराबबंदी को लेकर वर्तमान महागठबंधन सरकार के दो प्रमुख घटक दलों कांग्रेस और हम के बीच ही शराबबंदी को लेकर तू तू मैं मैं होने लगी है। इसकी शुरुआत हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा यानि हम के नेता जीतन राम मांझी के पार्टी कार्यकारिणी में दिए उस बयान से हुए जिसमें उन्होंने शराबबंदी के बावजूद 250 ml तक शराब पी चुके लोगों को पुलिस द्वारा पकड़ने के बावजूद छोड़ देने की बात कही थी।
कांग्रेस ने कसा तंज मांझी जी कभी भी कुछ बोल जाते हैं
जीतनराम मांझी के शराब को लेकर ऐसे बयान के बाद अब गंठबंधन के अन्य घटक दल ही उन्हें अपने लपेटे में लेने लगी है। कांग्रेस विधायक और अनुसूचित जाति मोर्चा की प्रतिमा कुमारी यह कहते हुए जीतनराम मांझी पर हमलावर हो गई कि जीतन राम मांझी तो कभी भी कुछ बोल जाते हैं। उन्होंने कहा कि जीतनराम मांझी दलित वर्ग से से आते हैं। उनकी बोली पर दलित वर्ग विश्वास करता है। ऐसे में उन्हें सोच समझकर बोलना चाहिए। सवालिया लहजे में उन्होंने कहा की क्या जीतानराम मांझी शराब पीते हैं ,जो शराबबंदी की इस रूप में खिल्ली उड़ा रहे हैं।और अगर वे शराब नहीं पीते है तो फिर ऐसी बातें कहते ही क्यों हैं।
हम नेता का पलटवार
कांग्रेस नेता प्रतिमा कुमारी के बयान के बाद हम पार्टी में हलचल मच गई। पार्टी के महासचिव दानिश कुमार ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस नेता को बोलते समय अपने गिरेबान पर भी ध्यान देना चाहिए। कांग्रेस शासित राज्यों में शराबबंदी नहीं हो तो क्या कांग्रेस के आलाकमान शराब पीते हैं? जिसकी वजह से उन लोगों ने अपने राज्यों में शराब की बिक्री को जारी रखा है। कांग्रेस नेता को जीतन राम मांझी के बयान पर प्रतिक्रिया देने से पहले यह सोच लेना चाहिए था कि उन्होंने यह बात किस संदर्भ में कही थी।