अखिलेश अखिल
सत्ता में कितनी ताकत होती है यह मौजूदा पहलवान आंदोलन और सरकार के रवैये के जरिये देखा जा सकता है। यौन शोषण की शिकार पहलवान महिलाएं चीख -चीख कर कह रही है कि कुश्ती संघ के अध्यक्ष और बीजेपी के सांसद बृजभूषण सिंह ने उसके साथ वह सब किया है जो यौन शोषण की परिभाषा में आते हैं। महिलाओं ने यह भी रिपोर्ट में कहा है कि इसने एक नाबालिग खिलाड़ी के साथ भी ऐसी घिनौनी हरकत की है जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। नाबालिक लड़की के पिता ने भी बृजभूषण के खिलाफ मामला दर्ज किया है। लेकिन अभी तक कोई करवाई नहीं हुई। ऐसे में अब बड़ा सवाल है कि यही बीजेपी की किसी विपक्षी नेता पर लगे ऐसे ही आरोप के खिलाफ कोई आवाज उठा सकती है ? और फिर यही पुलिस ऐसे ही मामले में कोई एक्शन ले सकती है ? बीजेपी अब अगर किसी भी ऐसी घटना पर गिरफ़्तारी का यही सवाल उठाएगी तो उसे पाखंडी ही कहा जायेगा और उनके ठग और झूठे भक्तों और गोदी मीडिया को आप जो भी कह सकते हैं आपकी मर्जी।
लेकिन मामला और भी पेंचीदा है। जो पहलवान अपने एक वार से किसी को धराशाई कर सकते हैं वे एक साधारण आदमी के सामने कैसे नतमस्तक होता है यह कहानी इसको भी तो रेखांकित कर रही है। देश के खेल मंत्री है अनुराग ठाकुर। ताकत और जोश के मामले में वे पहलवानों के सामने टिक नहीं सकते। लेकिन सत्ता की हनक ऐसी है कि वे अपनी शर्तो पर पहलवानों से बात भी करते हैं और पहलवानों को पस्त भी। पिछले 6 तारीख को अनुराग ठाकुर और पहलवानों के बीच में जो वार्ता हुई है उसकी हकीकत बहुत कुछ कहती है।
उस इनसाइड स्टोरी यही है कि सरकार ने अपनी शर्तो पर खिलाडियों को केवल यही कहा है कि पहले एसआईटी की रिपोर्ट आने दीजिए इसके बाद हम करवाई करेंगे। याद रहे एसआईटी 15 तारीख तक अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी। फिर कोर्ट क्या कुछ करेगा वही सत्य होगा। और कोर्ट वही सब करेगा जो रिपोर्ट कहेगा .और रिपोर्ट में वही दर्ज होगा जो सरकार चाहेगी और सरकार वही सब करती दिख रही है जो बृजभूषण चाह रहे हैं। बृजभूषण सरकार को ब्लैकमेल कर रही है और सरकार और बीजेपी के लोग आगे की राजनीति को देख रहे हैं। बीजेपी को लग रहा है कि बृजभूषण जैसे आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया गया तो यूपी के क्षत्रिय समाज नाराज हो जायेंगे और फिर कुछ सीटों का नुकसान भी हो सकता है। यह नुकसान बीजेपी को नहीं पीएम मोदी का नुकसान है क्योंकि उन्हें तो यूपी की सभी सीटें जितनी है ताकि आगे फिर से सत्ता हाथ लग सके।
खेल विचित्र है। खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के सामने जब खिलाड़ी पहुंचे तो उन्होंने पहले गिरफ्तारी की मांग की। ठौर सब सुनते रहे। इसके बाद ठाकुर ने एक शर्तों की सूची पहलवानों के सामने रख दी। इस सूची में कहा गया कि गिरफ्तारी तो जांच की रिपोर्ट के बाद और कोर्ट के फैसले के बाद होगी लेकिन हम वादा करते हैं बृजभूषण को अब संघ से अलग कर दिया जायेगा। ठाकुर ने यह भी कहा कि पिछले 15 साल से बृजभूषण परिवार का कुश्ती संघ पर कब्ज़ा है इसे खत्न कर दिया जायेगा। अगले कुश्ती संघ के चुनाव जो इसी महीने 30 जून तक होने हैं उसमे बृजभूषण और उसके किसी परिवार के लोगों को नहीं रखा जायेगा। ठाकुर ने खिलाडियों के सामने यह गुगली फेंकी और पहलवान फंसते चले गए।
फिर ठाकुर ने कहा कि जंतर मंतर पर जो कुछ भी 28 मई को हुआ और आप लोगों पर मुक़दमे दर्ज किये गए उसे वापस लिया जायेगा। यह दूसरी गुगली थी। तीसरी गुगली यह थी कि कुश्ती संग के चुनाव में अध्यक्ष ,महासचिव और कोषाध्यक्ष के चुनाव में आप पहलवानो की राय ली जाएगी।
फिर ठाकुर ने कहा कि मजबूत संघ का निर्माण आप लोग कीजिये और इसे आगे बढ़ाइए। आपका भी नाम होगा और देश का भी। और इसके बीच जो 6 घंटे की जो बातचीत हुई वह सब अपने अपने तर्क ही थे। बता दें कि बृजभूषण का परिवार और रिश्तेदार पिछले डेढ़ दशक से कुश्ती संघ पर कब्ज़ा बनाये हुए हैं। सिंह के दो दामाद हैं एक दामाद तो इसी कुश्ती महा संघ के सचिव रह चुके हाँ। जिन्हे अभी तुरंत हटाया गया है। दूसरे दामाद विशाल सिंह अभी भी बिहार कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं। बीजेपी के पास कोई जवाब है क्या ?