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Saudi arabia और Iran ने बहाल किए राजनयिक रिश्ते
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Middle East में अमेरिका के दबदबे को चीन से मिल रही सीधी चुनौती
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सऊदी अरब में दूतावास फिर से खोल रहा है ईरान
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मिडिल ईस्ट में चीन ने अमेरिका को पीछे छोड़ा
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सऊदी अरब और अमेरिका में चीन ने कराई सुलह
विकास कुमार
मिडिल ईस्ट के दो सबसे ताकतवर देश- सऊदी अरब और ईरान एक बार फिर से करीब आ रहे हैं। दरअसल ईरान, सऊदी अरब में फिर से अपना राजनयिक दूतावास खोल रहा है। दोनों देशों के बीच सात वर्षों के तनाव के बाद राजनयिक संबंध स्थापित हो रहे हैं। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नसीर कन्नानी ने इस बारे में बयान दिया है। उन्होंने कहा कि रियाद में ईरानी दूतावास, जेद्दाह में महावाणिज्य दूत और इस्लामी सहयोग संगठन में स्थाई प्रतिनिधि कार्यालय खुल जाएंगे।
मार्च में ईरान और सऊदी अरब के बीच राजनयिक संबंध फिर से स्थापित करने पर सहमति बनी थी। इस संबंध को बहाल करने में चीन की बड़ी अहम भूमिका है। इसी के साथ खाड़ी के दो अहम देशों के बीच सात साल के बाद राजनयिक रिश्ते बहाल हो जाएंगे। चीन की मध्यस्थता में ईरान और सऊदी अरब मार्च में राजनयिक रिश्ते बहाल करने पर सहमत हो गए थे।कनानी ने कहा कि हज करने वाले ईरानी तीर्थयात्रियों की मदद के लिए रियाद और जेद्दा में दूतावास ने काम करना शुरू कर दिया है।
सऊदी अरब और ईरान के बीच रिश्ते बहाल होने का पूरी दुनिया पर असर पड़ेगा। सऊदी अरब सुन्नी बहुलता वाला देश है जबकि ईरान एक शिया बहुलता वाला देश है। अब सऊदी अरब और ईरान के बीच करीबी ताल्लुकात से सुन्नी और शिया संप्रदाय के बीच तनाव कम होगा। साथ ही दोनों संप्रदायों के बीच विश्वास की बहाली भी होगी।
सऊदी अरब और ईरान के बीच राजनयिक संबंध बहाल होने से मध्य पूर्व में शांति कायम होगी। यमन में हौथी विद्रोहियों को ईरान का समर्थन मिलता रहा है। तो सऊदी अरब हौथी विद्रोहियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई में शामिल रहा है। इतना ही नहीं लेबनान,सीरिया और ईराक जैसे देशों में चल रहे तनाव में भी सऊदी अरब और ईरान आमने सामने खड़े नजर आते हैं। उम्मीद है कि अब इन देशों में शांति स्थापित होगी।
सऊदी अरब ने 2016 में ईरान के साथ अपने राजनयिक रिश्ते तोड़ दिए थे।दरअसल, सऊदी अरब में एक अहम शिया धर्मगुरु और 46 अन्य लोगों को मौत की सजा देने के बाद ईरान में प्रदर्शन हो रहे थे। इसी दौरान तेहरान और मशहद शहर में सऊदी राजनयिक मिशन पर हमले किए गए थे। इसके बाद दोनों देशों में राजनयिक संबंध टूट गए। अब दोनों देशों ने एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करने का भरोसा दिया है। साथ ही अब दोनों देश एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
इस पहल से अब मिडिल ईस्ट में सुरक्षा का माहौल बन सकेगा। साथ ही यमन,लेबनान,सीरिया और ईराक में तनाव कम होगा। इसके अलावा मिडिल ईस्ट में अमेरिका का असर भी कम होगा। वहीं मिडिल ईस्ट में चीन की रसूख और असर बढ़ता जाएगा। चीन को लंबे समय तक मिडिल ईस्ट से ऊर्जा की सप्लाई मिलती रहेगी। इसके अलावा चीन ने रूस यूक्रेन युद्ध में शांति के लिए 12 सूत्रीय फार्मूला पेश किया है। इससे चीन का अंतरराष्ट्रीय कद बढ़ रहा है। और अमेरिका का कद घट रहा है।