बीरेंद्र कुमार झा
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजे ने बीजेपी को इस साल के अंत में चार प्रमुख राज्यों के चुनाव के लिए अपने अभियान और रणनीति के खाके को बदलने के लिए प्रेरित किया है।मध्य प्रदेश, राजस्थान,तेलंगना और छत्तीसगढ़ में चुनाव होना है। इसमें से केवल मध्यप्रदेश में ही बीजेपी का शासन है।ऐसे में बीजेपी राजस्थान में रिवाल्विंग डोर पॉलिसी और तेलंगाना छत्तीसगढ़ में सत्ता विरोधी लहर के अपने पक्ष में काम करने की उम्मीद लगा हुए है।
बीजेपी नेताओं से प्राप्त जानकारी के अनुसार बीजेपी ने चुनावी सभी 4 राज्यों में नेतृत्व के मुद्दे और उम्मीदवारों को तय करते समय जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखने का फैसला किया है। कर्नाटक चुनाव में इन्हें एक सबक सीखने को मिला। वहां बीएस येदियुरप्पा को शीर्ष पद से हटाने और जगदीश शेट्टार तथा लक्ष्मण सदावी जैसे नेताओं को टिकट देने से इनकार करने के फैसले से लिंगायत समुदाय नाराज हो गया और इसका फायदा फायदा सीधे-सीधे कांग्रेस को मिल गया।लिंगायतों का वोट कांग्रेस में शिफ्ट हो गया।
छोटे दलों के साथ गठबंधन की भी तैयारी
बीजेपी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार भारतीय जनता पार्टी आगामी चुनाव में छोटे दलों के साथ चुनावी गठबंधन के लिए भी तैयार है। ऐसी अटकलें हैं कि अगर बीजेपी ने कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की पार्टी जेडीएस से गठबंधन किया होता तो कर्नाटक विधान सभा चुनाव का चुनाव परिणाम कुछ अलग ही होता।
स्थानीय नेताओं पर रहेगा फोकस
कर्नाटक चुनाव से सबक लेते हुए बीजेपी ने अपनी रणनीति में एक बड़ा बदलाव यह किया है कि केंद्रीय नेताओं और मुख्यमंत्रियों पर अत्यधिक निर्भरता के बजाय स्थानीय नेताओं पर ध्यान केंद्रित किया जाए कांग्रेस ने आज स्थानीय नेताओं को अभियान चलाने की अनुमति दी थी जिसका उसे फायदा भी हुआ। बीजेपी अब इससे सबक लेकर चुनाव प्रचार को लेकर स्थानीय नेताओं पर भी अपना ध्यान केंद्रित करेगी। इसके अलावा उसके स्टार प्रचारक तो होंगे ही।
गुटबाजी को खत्म करने पर जोर
बीजेपी ने आगामी चुनाव में विभिन्न राज्यों में स्थानीय नेताओं के बीच चल रहे गुटबाजी को भी खत्म करने का निर्णय लिया है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इस मामले को एक प्रमुख समस्या के रूप में देखा गया था। गुटबाजी के कारण ही जगदीश शेट्टार जैसे नेताओं को टिकट नहीं मिला। बीजेपी यह रणनीति राजस्थान और मध्यप्रदेश के विधान सभा चुनाव में महत्वपूर्ण होगी जहां सामंजस्य की कमी पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक हैं।
मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ही होंगे मुख्यमंत्री का चेहरा
पार्टी सूत्रों के अनुसार मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे। अन्य नेताओं ज्योतिरादित्य सिंधिया नरेंद्र सिंह तोमर और बीडी शर्मा जैसे नेताओं को साथ रखना भी बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है। अगर राजस्थान की बात करें तो यहां वसुंधरा राजे जैसी वरिष्ठ नेता को तरजीह दी जाएगी। इसके अलावा किरोड़ी लाल मीणा, गजेंद्र सिंह शेखावत, सतीश पुनिया और कैलाश चौधरी जैसे नेताओं को साथ रखना भी पार्टी के लिए फायदेमंद होगा ।
चुनावी कैंपेन में स्थानीय नेताओं पर रहेगी जिम्मेदारी
पार्टी सूत्रों के अनुसार छत्तीसगढ़ में रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल और अरुण साहू जैसे नेताओं को महत्त्व दिया जाएगा। कैंपेन में इन्हीं नेताओं को आगे बढ़ाया जाएगा।आदिवासी समाज को भी नुमाइंदीगी दी जाएगी ।इसके अलावा तेलंगाना में बंडी संजय, ई राजेंद्रन और जी किशन रेड्डी जैसे नेताओं को महत्त्व दिया जाएगा।राज्य के नेताओं की आपसी लड़ाई और गुटबाजी पर पूरी तरह से लगाम लगाई जाएगी।
पार्टी की रणनीति में बदलाव करते हुए अब जनाधार वाले सीनियर नेताओं को चुनावी रणनीति में महत्व दिए जाने पर जोर दिया जा रहा है।मध्यप्रदेश में संगठन और सरकार में तालमेल बेहतर किया जाएगा। जमीनी कार्यकर्ताओं को महत्त्व मिलेगा। उसके फीडबैक के आधार पर मुद्दे, वादे और रणनीति तय होगी।