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कर्नाटक चुनाव : वीरशैव लिंगायत फोरम ने कांग्रेस के समर्थन में जारी किया लेटर ,बीजेपी की बढ़ी मुश्किलें

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अखिलेश अखिल

कर्नाटक चुनाव में अब दो दिन बचे हैं और चुनावी माहौल को पाने पक्ष में करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस के बीच घमासान मचा हुआ है। दोनों दल एक दूसरे पर वार करने से नहीं चूक रहे हैं। दोनों दलों की सभाओं में अपार भीड़ उमड़ रही है लेकिन कोई भी दल अपनी जीत को लेकर आशान्वित नहीं है। जो सर्वे रिपोर्ट आ रहे हैं उनकी कहानी भी अलग -अलग है। बीजेपी की समर्थक चुनावी सरे एजेंसियां और टीवी चॅनेल बीजेपी के पक्ष में नतीजे दिखा रहे हैं जबकि कांग्रेस के पक्ष वाली एजेंसियां चुनावी जीत कांग्रेस में दिखा रही हैं। उधर कल पीएम मोदी ने लम्बा रोड शो करके बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने की भरसक कोशिश तो कर चुके हैं लेकिन सोनिया गांधी के हमले से बीजेपी की परेशानी और भी बढ़ती दिख रही है।
इसी बीच लिंगायत समूह ने कांग्रेस को वोट देने की बात करके बीजेपी की परेशानी को और बढ़ा भी दिया है। अभी तक लिंगायत समुह के अधिकतर लोग बीजेपी के पक्ष में वोट देते रहे हैं लेकिन इस बार कुछ अलग ही सब होता दिख रहा है। लिंगायत संप्रदाय के एक शक्तिशाली समूह वीरशैव लिंगायत फोरम ने 10 मई को होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन करते हुए एक ओपन लेटर जारी किया है। फोरम ने लिंगायत समुदाय के सदस्यों से चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों को वोट देने का आग्रह किया है। लिंगायत समुदाय भाजपा का एक पारंपरिक वोट बैंक रहा है और 1980 के दशक से पार्टी नेता बी.एस. येदियुरप्पा, जो समुदाय से हैं, ने लिंगायत समर्थन और आधार विकसित करने के लिए अथक प्रयास किया था।
हालांकि, येदियुरप्पा को दरकिनार किए जाने और पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार को अपने गढ़ हुबली से सीट देने से इनकार करने के बाद यह समुदाय भाजपा के खिलाफ गुस्से में है। जगदीश शेट्टर ने खुले तौर पर यह कहते हुए आलोचना की कि भाजपा के राष्ट्रीय संगठन सचिव बी.एल. संतोष ने उन्हें टिकट नहीं दिया जो एक संदेश है कि बीजेपी लिंगायत समुदाय के पार्टी पर प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रही है। बता दें कि लिंगायत कर्नाटक में 17 प्रतिशत ताकत के साथ एक शक्तिशाली समुदाय है और राज्य में नौ लिंगायत मुख्यमंत्री रहे।
कांग्रेस नेता, शमनूर शिवशंकरप्पा और जगदीश शेट्टर ने आज रविवार सुबह हुबली में लिंगायत समुदाय के लोगों से मुलाकात की। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले हफ्ते संगमंथा मंदिर का दौरा किया था, जो लिंगायत संप्रदाय के संस्थापक बसवेश्वर की पवित्र समाधि है, जिसे बसवन्ना के नाम से भी जाना जाता है। अब माना जा रहा है कि 10 मई को चुनाव के साथ, शक्तिशाली लिंगायत संप्रदाय के एक वर्ग द्वारा दिए गए समर्थन ने कांग्रेस को भारी बढ़त दे दिया है।

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