Homeप्रहारक्या यह बौद्धिक दिवालियापन नहीं...?

क्या यह बौद्धिक दिवालियापन नहीं…?

Published on

प्रकाश पोहरे (प्रधान संपादक- मराठी दैनिक देशोन्नति, हिंदी दैनिक राष्ट्रप्रकाश, साप्ताहिक कृषकोन्नति)

आपको याद होगा 1986-87 से लेकर 1996-97 तक करीब दस साल तक देश में क्या माहौल था! वहां से सीधे तौर पर आपको 2013 का माहौल भी याद आ जाएगा। महाराष्ट्र, पंजाब, कश्मीर, असम, नागालैंड, पश्चिम बंगाल जैसे कई राज्यों में राजनीतिक अशांति थी, आंदोलन और हिंसक गतिविधियाँ बढ़ रही थीं। ‘मंदिर वहीं बनाएंगे’, ‘जय श्री राम’, ‘गर्व से कहो हम हिंदू हैं’ और कई अन्य नारों की बाढ़ आ गई और 2013 में ‘मैं अन्ना हूं’ टोपी पहनने वाले लोगों की पूरे देश में मानो बाढ़ ही आ गयी थी।

राम के नाम पर यात्रा, रथयात्रा, शीला पूजन, लोहा/ईंट जमा करना, आरती, महाआरती से लेकर रामलला के नाम पर अयोध्या तक में हमने ऐसा माहौल देखा है। उस माहौल को गरमा कर देश में हिंसक धार्मिक नफरत की खाई पैदा कर दी गयी. समाज ‘हम’ और ‘वो’ में बँटा हुआ था। इन सभी घटनाओं का देश की संस्कृति, अर्थव्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था पर क्या दुष्प्रभाव पड़ा, यह बताने की जरूरत नहीं है। ऐसी कितनी ही घटनाएँ बताई जा सकती है!

मतलब साफ है… लोग भावनात्मक मुद्दों पर जाग जाते हैं… चाहें तो आज की तारीख का माहौल देख लीजिए! महंगाई के खिलाफ जनता सड़कों पर नहीं उतरती,…
बेरोजगारी के खिलाफ जनता सड़कों पर नहीं उतरती,…. छात्रों का भविष्य बर्बाद कर रहे पेपर-लीक को लेकर जनता सड़कों पर नहीं उतरती,… करोड़ों खर्च कर बनाए गए पुल टूट रहे हैं, सड़कों पर दरारें पड़ रही हैं, राम मंदिर की छत टपक रही है, हवाई अड्डे की छत गिर रही है, लेकिन लोग सड़कों पर नहीं उतर रहे हैं,… जबकि ‘टी-20 वर्ल्ड कप’ जीत कर अमीर बने क्रिकेट खिलाड़ियों के स्वागतार्थ लाखों की संख्या में मुंबईकर सड़कों पर उतरे..! वैसे क्रिकेट एक भावनात्मक मुद्दा है। बेशक, लोग भावनात्मक मुद्दों पर ही जागते हैं।

किसी देश के खेल आयोजन के प्रसारण अधिकार दुनिया में सबसे ऊंची बोली पर बेचे जाते हैं।  क्रिकेट केवल दस-पंद्रह देशों में खेला जाने वाला खेल है। दो-तीन अपवादों को छोड़ दें तो जापान, जर्मनी, काफी हद तक अमेरिका, चीन, कनाडा, ब्राजील, मैक्सिको, सिंगापुर, दुबई, रूस, कोरिया जैसे कई विकसित देशों में इस खेल के लिए कोई जगह ही नहीं है। फ़ुटबॉल दुनिया में सबसे लोकप्रिय खेल है और अधिकांश देशों की टीमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस खेल में भाग लेती हैं। इंग्लिश प्रीमियर फुटबॉल लीग एक बहुत लोकप्रिय फुटबॉल प्रतियोगिता है, अमेरिकी एनबीए बास्केटबॉल प्रतियोगिता भी बहुत लोकप्रिय है, लेकिन इन प्रतियोगिताओं के प्रसारण अधिकार भी इतनी बड़ी कीमत पर नहीं बेचे जाते हैं। बमुश्किल 300,000 डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले भारत का कोई खेल आयोजन, प्रसारण अधिकार के मामले में करीब 1.8 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले अमेरिका के लोकप्रिय खेल से आगे निकल जाए, तो यह कितनी बड़ी विसंगति होगी! इस टूर्नामेंट के प्रसारण अधिकार इतनी बड़ी कीमत पर इसलिए बेचे गए, क्योंकि टूर्नामेंट देखने वाले दर्शकों की भारी संख्या थी। ये क्रिकेट नहीं बल्कि देशद्रोह है,…. इस विषय पर लिखी मेरी पुस्तक अध्ययनकर्ताओं को अवश्य पढ़नी चाहिए।

भारत के लोग क्रिकेट के दीवाने हैं। उनकी दीवानगी को ध्यान में रखते हुए इस टूर्नामेंट के माध्यम से इन लोगों की भावना को भुनाने की कोशिश की जाती रही है और वे इसमें निश्चित रूप से सफल भी होते हैं। दरअसल, अन्य खेलों में भी भारतीय एथलीट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी अच्छा प्रदर्शन करते नजर आते हैं। भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों ने दो साल पहले पहली बार प्रतिष्ठित थॉमस कप जीता था। भारतीय खिलाड़ियों ने चीन, इंडोनेशिया जैसे मजबूत प्रतिद्वंद्वियों की चुनौती को खदेड़ते हुए यह प्रदर्शन किया, लेकिन इसके लिए इन खिलाड़ियों की सराहना ही की गई। जिस तरह टी-20 विश्व कप विजेता खिलाड़ियों का मुंबई में भव्य स्वागत किया गया, महाराष्ट्र के विधान भवन में अभिनंदन किया गया, उसी तरह भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों, पहलवानों, कबड्डी चैंपियनों, ओलंपियनों या ऐसे ही एथलीटों के प्रति कोई उदारता नहीं दिखाई गई। यह शुद्ध भेदभाव है! ओलंपिक में भारत को एथलेटिक्स में पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले नीरज चोपड़ा को वैसे भी शायद अगले ओलंपिक के समय ही याद किया जाएगा।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जनता की इस भावुकता को भुनाने में सफल रहा है। देश के ज्वलंत मुद्दों से, सरकार की नीतियों से जनता का ध्यान कैसे भटकाना है, यह मीडिया और शासकों को बखूबी आता है। इसीलिए तो ‘टी-20 वर्ल्ड कप’ बनाया गया है। इसीलिए मुंबई के लोग इतनी बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए। ये लोग अपने वाजिब हक के लिए सड़कों पर क्यों नहीं उतरते?

दरअसल, दस साल बाद तीसरी बार चुने जाने और ‘सबका साथ, सबका विकास’ की पिछली पंक्ति में ‘सबका विश्वास’ जोड़ने के बाद यह सोचा गया था कि यह सरकार अब ‘पिछले सत्तर साल में’ वाला जुमला छोड़ देगी। और कहेगी कि ‘पिछले दस साल में ये हुआ’…. कहते हुए नई दिशा पकड़ लेंगी, लेकिन सरकार ने चुनाव से पहले 2047 तक की ‘मोदी की गारंटी’ दे दी और जनता उसके साथ चली गई। दूसरी ओर, सरकार हर दिन पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को आगे बढ़ा रही है, भले ही अर्थव्यवस्था को तीन तिमाहियों में रखा जा रहा हो। नोटबंदी, जीएसटी, बैंक लोन घोटाले, इनमें शामिल बड़े-बड़े औद्योगिक समूह इन सबको बचाते हुए यह दिखा रहे हैं कि किसी को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर, इस सरकार ने देश के भंडार को लूटकर इस घाटे को कवर करने के लिए एक नया कदम उठाया है।

भारतीय रिज़र्व बैंक के गंगाजल को लूटने और सरकारी उद्यमों को बेचना या किराये पर देने का क्रम चलाया गया। निजी उद्यमों की खामियों और झूठ को छिपाने के लिए लोगों के पैसे का इस्तेमाल अपवाद के बजाय नियम बनता जा रहा है। लेकिन, लोग इसके लिए सड़कों पर नहीं उतर रहे हैं।

अब आगे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। इसी को ध्यान में रखते हुए बजट मंजूरी से पहले महिलाओं के लिए योजना की घोषणा की गई। उन्हें 15 दिन का समय दिया गया था। सभी ग्राम पंचायत, तलाठी, तहसील कार्यालयों में भीड़ मची। सरकार जानती थी कि यह काम पन्द्रह दिन में नहीं होगा। सरकार इस योजना को भीड़-भाड़ के विकल्प के तौर पर प्रचारित कर रही है। अब सरकार ने समय-सीमा दो महीने बढ़ाकर 31 अगस्त तक कर दी है। इसके बाद आवेदनों की जांच शुरू होगी। मतदान जारी रहने के दौरान विधानसभा चुनाव की आचार संहिता का पालन किया जाएगा। अब अहम बात….. महिलाओं को 1500 रुपये प्रति माह देंगे। महाराष्ट्र की आबादी लगभग 12 करोड़ है। 6 करोड़ महिलाएँ जिनमें से 3 करोड़ अयोग्य हैं, लेकिन यदि 3 करोड़ महिलाओं को 1500/- रुपये प्रति माह का भुगतान किया जाना है, तो और 54 हजार करोड़ प्रति वर्ष, क्या बजट में इस राशि का प्रावधान किया गया है? अगर हां, तो सरकार हर महीने इतने रुपये कहां से लाएगी? कितनी आमदनी, कितना खर्च? इस योजना को ‘माझी लाड़की बहिन’ नाम दिया गया है। राज्य की करोड़ों महिलाएं भावुक हो गईं और चर्चा करने लगीं कि उन्हें यही सरकार चाहिए। यानी एक बार फिर इन महिला वोटरों को भावनात्मक मुद्दों पर संगठित करने की शिंदे सरकार की ये योजना है।

भ्रष्टाचार मुक्त भारत का नारा बुलंद करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने में सफल रहे। उसी दिन एक और कुछ दिन बाद, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में दो शर्मनाक घटनाएं हुईं। मोदी सरकार, दरअसल प्रधानमंत्री से उम्मीद की जाती है कि वे इन घटनाओं की ज़िम्मेदारी लेंगे। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा होता नहीं दिख रहा है। एक तरफ भारत को ‘विश्व गुरु’ बनाने का सपना देखना और हमेशा की तरह शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भ्रष्टाचार की जघन्य घटनाओं को जानबूझकर नजरअंदाज करना अशोभनीय है।

विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में असिस्टेंट लेक्चरर पद के लिए जरूरी पात्रता परीक्षा के लिए 18 जून को नेट (NET) का आयोजन किया गया था। उस दिन शाम को एनटीए ने सर्कुलर जारी किया कि परीक्षा सफलतापूर्वक आयोजित की गई। लेकिन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने प्रश्न-पत्र लीक होने के कारण तुरंत परीक्षा रद्द कर दी और पेपर लीक के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की। क्या हमें ‘नीट’ जैसी परीक्षा में भारी घोटाला होने पर आंखें मूंद लेनी चाहिए? और नेट परीक्षा में हुए अपमान पर गोमूत्र छिड़क कर यह दिखावा करना चाहिए कि हम पूरी पवित्रता बनाए रखते हैं..? मुट्ठी भर सतर्क अभिभावकों को छोड़कर, कितने लोगों ने इस पर ध्यान दिया?

मेरा दृढ़ विश्वास है कि जिस देश में युवा छात्रों के आदर्श वैज्ञानिक, शोधकर्ता, शिक्षाविद् नहीं बल्कि बाजारू अभिनेता, नौटन्कीबाज राजनेता, बिके हुए खिलाड़ी, जातीय उन्माद में डूबे हुए लोग हैं, वे और देश कभी भी आर्थिक प्रगति नहीं कर पाएंगे। सामाजिक, बौद्धिक, सांस्कृतिक, सामरिक रूप से देश सदैव पिछड़ा रहेगा। ऐसे देश की एकता और अखंडता सदैव खतरे में रहेगी। ‘टी-20 वर्ल्ड कप’ जीतने वाले खिलाड़ियों के स्वागत के लिए इतनी भीड़ जुटीं कि वहां चींटी के लिए भी जगह नहीं थी। अगर वही लोग अपनी जायज मांगों के लिए एकजुट हो जाएं तो….?

इतने सारे लोग सिर्फ एक खेल के आसपास इकट्ठा होते हैं। इस देश में किसान पांच से पच्चीस हजार का कर्ज न चुका पाने के कारण आत्महत्या कर लेते हैं और ऐसी आत्महत्याओं की संख्या लाखों में हो जाती है, और झील में कोई लहर नहीं उठती! इस देश में चपराशी जैसी नौकरी के लिए भी ग्रेजुएट, इंजीनियर आदि आवेदन करते हैं और उस नौकरी को पाने के लिए रिश्वत देने को तैयार रहते हैं! इस देश में पर्याप्त बुनियादी ढांचे की कमी के कारण हजारों की संख्या में सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं। इस देश की सरकार चार साल के लिए जवानों को ‘अग्निवीर’ के रूप में भर्ती करने का फैसला करती है। वो भी अनुबंध के आधार पर…! इसकी परवाह किसे है?

आज सरकार ने मोबाइल सेवाओं, टीवी सेवाओं, बिजली सेवाओं, ईंधन, गैस, मीडिया, बिजली, फार्मास्युटिकल विनिर्माण, बीमा क्षेत्र, खुदरा उत्पादन, रक्षा क्षेत्र, रेलवे सेवाओं, विमानन सहित देश के लगभग सभी क्षेत्रों में क्रोनी निजीकरण स्थापित कर दिया है। सेवाएँ, खाद्य आपूर्ति और माल ढुलाई सेवाएँ हो चुकी हैं और इसका असर देश के लोगों पर पड़ रहा है। मुनाफा कमाने वाली सरकारी कंपनियों की बिक्री, आरबीआई पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ, विदेशी निवेश के लिए रास्ता, घटती सरकारी नौकरियां, बचत में लगातार गिरावट, बैंकों का बढ़ता एनपीए, आर्थिक रूप से कमजोर बैंक, गिरती बाजार मांग, बढ़ते टैक्स, गिरती प्रति व्यक्ति आय, गिरती जीडीपी और अन्य… इस देश की जनता को तत्काल यह पहचानने की जरूरत है कि देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था दिशाहीन होती जा रही है। सत्ता बनाए रखने के लिए जानबूझकर अर्थव्यवस्था को अलग बनाया जा रहा है! क्योंकि आख़िरकार सवाल हमारे घरेलू स्कूली युवाओं के भविष्य का है। लेकिन हम ‘वर्ल्ड कप’ में खेलकर अमीर बने क्रिकेट खिलाड़ियों का स्वागत करने के लिए लाखों की संख्या में सड़कों पर उतरते हैं…. क्या यह बौद्धिक दिवालियापन नहीं है..?

०००००००००००००००००००००००००
लेखक : प्रकाश पोहरे

(प्रतिक्रिया देने के लिए प्रकाश पोहरे को सीधे 98225 93921 पर कॉल करें या उसी व्हाट्सएप पर अपनी प्रतिक्रिया भेजें)
(कृपया फीडबैक देते समय अपना नाम- पता लिखना न भूलें)

Latest articles

Weather Today 08 September 2024: देश के इन राज्‍यों में भारी बारिश का अनुमान, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट,जानें आपके शहर का हाल

Weather Today देश की राजधानी दिल्ली सहित देश के अधिकतर हिस्सों में एक बार फिर...

अमित शाह ने कहा- राहुल गांधी जम्मू कश्मीर के लोगों गुमराह करना बंद करे

जम्मू-कश्मीर में चुनाव गर्मी ने राजनीतिक पारा काफी चढ़ा दिया है।प्रथम चरण के मतदान...

महाराष्ट्र चुनाव में जीत के लिए बीजेपी की खास प्लानिंग, नितिन गडकरी को बड़ी जिम्मेदारी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सहित महाराष्ट्र के सभी बीजेपी नेता आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव...

More like this

Weather Today 08 September 2024: देश के इन राज्‍यों में भारी बारिश का अनुमान, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट,जानें आपके शहर का हाल

Weather Today देश की राजधानी दिल्ली सहित देश के अधिकतर हिस्सों में एक बार फिर...

अमित शाह ने कहा- राहुल गांधी जम्मू कश्मीर के लोगों गुमराह करना बंद करे

जम्मू-कश्मीर में चुनाव गर्मी ने राजनीतिक पारा काफी चढ़ा दिया है।प्रथम चरण के मतदान...